परतवाड़ा/अचलपुर दि. २३ – मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के गुगामल वन्यजीव विभाग अंतर्गत बतौर रेंजर कार्यरत दीपाली चौहान की आत्महत्या के मामले में स्थानीय अचलपुर अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने आज विनोद शिवकुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी है.
कल 22 अप्रैल,गुरुवार को जमानत याचिका पर दोनों पक्षो की ओर से प्रखर युक्तिवाद किया गया था.इसमें आरोपी विनोद शिवकुमार को जमानत दिलवाने के लिए अमरावतीं के एड. प्रशांत देशपांडे ने कई सारी दलीलें अदालत के सामने रखी थी.
सरकार की ओर से शिवकुमार की जमानत याचिका रद्द करने के लिए कल स्वयं जिला शासकीय अधिवक्ता(डीजीपी)परीक्षित गणोरकर उपस्थित थे.गणोरकर ने कोर्ट को बताया कि दीपाली चौहान ने मृत्युपूर्व लिखी चिट्ठी में शिवकुमार पर सीधा आरोप लगाया है.पत्र के अनुसार विनोद शिवकुमार ने ही उसे आत्महत्या को प्रवृत्त किया यह स्पष्ट होता है.इसी आधार पर अपराध भी दर्ज किया गया.घटना होते ही आरोपी अपने शासकीय ड्यूटी क्षेत्र से फरार हो गया था.अपराधी कृत्य करना यह किसी अधिकारी की ड्यूटी का भाग नही हो सकता. एक वर्ष से भी ज्यादा समय से दीपाली को मानसिक,शारीरिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था.इसलिए उसने आत्महत्या के पूर्व लिखी चिट्ठी में , ‘अब सहन नहीं होता’ यह अंतिम वाक्य लिखा और खुद को गोली मार ली.घटना की गंभीरता को देखते हुए अभी जांच कार्य जारी है और पुलिस की जांच करने में काफी समय भी लगेगा. आरोपी यह वन मुख्यालय में बैठकर गवाहों पर दबाव बनाकर उन्हें जुबान पलटने को बाध्य करने की कोशिश करेगा.दीपाली के पत्र में लिखे अनुसार आरोपी यह गवाहों पर दबाव बनाकर उन्हें मुकरने के लिए मजबूर कर सकता है.पुलिस ने सभी प्राप्त घटनात्मक और प्रत्यक्ष मिले तथ्यों के आधार पर ही भादवी 306 का अपराध दर्ज किया है.आरोपी यह आइएफएस दर्जे का रसूखदार अधिकारी होने से वो सबूत और गवाहों कर साथ छेड़छाड़ करने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता .
इससे पूर्व एड प्रशांत देशपांडे ने जमानत आवेदन दायर किया था.उस पर 19 अप्रैल को सरकार की ओर से सहायक सरकारी अधिवक्ता भोला चौहान और जांच अधिकारी पूनम पाटिल ने ‘ से ‘ दर्ज करवाया था.
कल दोनों पक्षो की दलील सुनने के बाद जमानत का निर्णय समयाभाव के कारण नही हो पाया था.आज शुक्रवार को अचलपुर के प्रथम जिला व सत्र न्यायधीश एस.के.मुंगीनवार ने अपना फैसला सुनाते हुए विनोद शिवकुमार को जमानत देने से मनाई करते हुए याचिका खारिज कर दी.सरकारी जिला अधिवक्ता गणोरकर को इस मामले में सहायक शासकीय अधिवक्ता भोला चौहान और गोविंद विचोरे ने सहयोग दिया. अब आरोपी शिवकुमार को जमानत के लिए उच्चन्यायालय का ही दरवाजा खटखटाना पड़ेंगा .