झूठी शिकायतें करना वीरेंद्र जगताप का शौक
विधायक प्रताप अडसड का पत्रवार्ता में कथन
अमरावती/प्रतिनिधि दि.4 – किसी सरकारी कर्मचारी अथवा अन्य राजनीतिक दल के कार्यकर्ता तथा किसानों के हितोंवाले प्रकल्प के कार्यों को लेकर पूर्व विधायक वीरेंद्र जगताप द्वारा हमेशा ही झूठी-मूटी शिकायतेें दर्ज करायी जाती है और बीते 20 वर्षों से उनका यही एकमात्र धंधा है. इसी के तहत पूर्व विधायक जगताप ने किसानों की सूतगिरणी को लेकर अब तक कुल सात बार बेसिरपैर की शिकायतें बेवजह दर्ज करायी है. जिनका कोई फायदा नहीं हुआ. इस तरह का प्रतिपादन धामणगांव विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक प्रताप अडसड द्वारा किया गया. साथ ही उन्होंने कहा कि, विगत विधानसभा चुनाव में हार जाने के बावजूद जगताप अब तक अपनी हार को पचा नहीं पाये है और अब भी खुद को विधायक समझकर ही व्यवहार करते है.
स्थानीय श्रमिक पत्रकार भवन में बुलायी गई पत्रकार परिषद में उक्त प्रतिपादन करने के साथ ही विधायक प्रताप अडसड ने कहा कि, 15 वर्ष तक विधायक रहने के दौरान वीरेंद्र जगताप ने अपने स्कूल व कॉलेज के अलावा निर्वाचन क्षेत्र में किसानों व बेरोजगारों के लिए एक भी उद्योग नहीं लाया. किंतु जैसे ही वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व विधायक अरूण अडसड ने धामणगांव में श्री गजानन सहकारी सूतगिरणी का पंजीयन किया, वैसे ही वीरेंद्र जगताप के पेट में दर्द होना शुरू कर दिया और सन 2000 से गजानन सहकारी सूत गिरणी को लेकर झूठी शिकायतें करनी शुरू की. उस दौरान चूंकि राज्य में कांग्रेस की सत्ता थी. अत: वीरेंद्र जगताप ने सत्ता और पद का दुरूपयोग करते हुए पूरे प्रयास किये कि, किसी न किसी तरह से सूतगिरणी को मुश्किल में डाला जाये. लेकिन इससे वे कुछ भी हासिल नहीं कर पाये. साथ ही इस समय राज्य में एक बार फिर कांग्रेस का समावेश रहनेवाली सरकार है. ऐसे में वीरेंद्र जगताप एक बार फिर सूतगिरणी की झूठी शिकायतें करते हुए यहां पर प्रशासक नियुक्त करने का प्रयास कर रहे है. लेकिन अदालत में जगताप की झूठी शिकायतों की पोल खुल गई है और वे मुंह के बल गिरे है.
इस पत्रकार परिषद में विधायक प्रताप अडसड ने कहा कि, गजानन सहकारी सूतगिरणी में 250 से अधिक किसानोें के बच्चे काम करते है और इस सूतगिरणी की वजह से ही उन परिवारों का उदरनिर्वाह चलता है. ऐसे में अडसड परिवार पर बेवजह के आरोप लगाने की बजाय जगताप को चाहिए कि, उन्होंने विगत 18 वर्षों के दौरान कितने किसानों के बच्चों को नौकरी दिलवायी. साथ ही वे यह भी बताये कि, उनके स्कूल व कॉलेज के संचालक मंडल में खुद उनके परिवार के कितने लोग शामिल है. विधायक प्रताप अडसड के मुताबिक कुछ वर्ष पूर्व वीरेंद्र जगताप के महाविद्यालय में कार्यरत एक कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली थी. जिसके परिवार को अब तक न्याय नहीं मिला है. किंतु हमने उस मामले को लेकर किसी तरह की कोई राजनीति नहीं की. इसके अलावा जिला बैंक में जगताप एक तरह से सहपरिवार शामिल थे. साथ ही विगत पंद्रह वर्षों के दौरान सोफिया कंपनी एवं समृध्दी महामार्ग जैसे प्रकल्पोें का अपने कुछ चुनिंदा कार्यकर्ताओं को साथ लेकर विरोध करना, झूठी शिकायतें दर्ज करना और अपना हित साध्य होते ही शिकायतों की फाईल को बंद करना यही काम वीरेंद्र जगताप द्वारा किया जा रहा है. जिसकी जानकारी अब क्षेत्र की जनता के साथ-साथ राज्य के सभी कांग्रेस नेताओं को पता चल गई है. ऐसे में अब भी खुद को विधायक समझनेवाले पूर्व विधायक वीरेंद्र जगताप को चाहिए कि, वे अपनी सरकार के जरिये अपने निर्वाचन क्षेत्र में कोई बेहतरीन प्रकल्प लाकर अपने कार्यकर्ताओं को रोजगार देने का सकारात्मक कार्य कर दिखाये.
-
म्युच्युअल फंड में निवेश पूर्व नियोजीत घोटाला
– दिनदहाडे डाका डालनेवालों पर अपराध दर्ज हो
इस पत्रकार परिषद में विधायक प्रताप अडसड ने जिला बैंक में उजागर हुए कमिशन घोटाला मामले को लेकर कहा कि, जिस बैंक में कोई भी कर्मचारी अध्यक्ष तथा कुछ विशिष्ट संचालकों से पूछे बिना 1 हजार रूपये की रकम को इधर से उधर नहीं कर सकता, उसी बैंक के कर्मचारियों द्वारा अध्यक्ष सहित संचालक को अंधेरे में रखकर 700 करोड रूपयों की राशि अपने मन से म्युच्युअल फंड में कैसे निवेश कर सकते है. जिसका सीधा मतलब है कि, म्युच्युअल फंड में निवेश यह एक पूर्व नियोजीत घोटाला है और इसकी आड में बैंक के संचालकों द्वारा जमकर कमिशन की चांदी काटी गई है. ऐसे में यह एक तरह से दिनदहाडे बैंक पर डाका डालने की तरह है. अत: इसमें लिप्त संचालकों पर तुरंत अपराध दर्ज किया जाना चाहिए.
इस समय विधायक प्रताप अडसड ने कहा कि, आज तक हमने बैंक बंद रहते समय रात के अंधेरे में काले कपडे पहनकर बैंक पर डाका डाले जाने की खबरे सुनी है. किंतु बैंक खुली रहते समय दिनदहाडे शुभ्र सफेद कपडे पहनकर सभी लोगों की आंखों के सामने अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक पर डाका डाला गया तथा गरीबों व किसानों की रकम पर कमिशन कमाये गये. ऐसे में इस पूरे मामले की बेहद कडाई के साथ जांच की जानी चाहिए.