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राज्य में कौमार्य परीक्षण होगा बंद

राज्य वैद्यकीय शिक्षा विभाग ने जारी किए आदेश

मुंबई  दि.10– लैंगिक अत्याचार पीडिता की वैद्यकीय जांच करते समय कौमार्य परीक्षण पद्धति के उपयोग को रोकने का निर्देश राज्य के वैद्यकीय शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी निजी व बिना अनुदानी वैद्यकीय महाविद्यालयों तथा स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं द्बारा संचालित अस्पतालों के नाम जारी किए है. यह निर्देश इसी गट में रहने वाले सभी परिचारिका, महाविद्यालयों तथा आयूष व दंत महाविद्यालय के लिए भी लागू रहेगा.
बता दें कि, राज्य में लैंगिक अत्याचार से पीडित महिला की वैद्यकीय जांच करते हुए कौमार्य परीक्षण पद्धति का प्रयोग किया जाता था. जिसे रोकने की मांग विगत अनेक वर्षों से कई महिला व सामाजिक संगठनों के साथ ही वैद्यकीय क्षेत्र में काम करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्बारा की जा रही थी. जिसके मद्देनजर राज्य के वैद्यकीय शिक्षा विभाग ने कौमार्य परीक्षण पद्धति का प्रयोग रोके जाने का आदेश जारी किया है. यह आदेश जारी करते समय स्मिता सरोदे सिंगलकर द्बारा दायर की गई. जनहित याचिका का संदर्भ दिया गया. इस याचिका में एमबीबीएस के द्बितीय वर्ष पाठ्यक्रम से कौमार्य परीक्षण को हटाए जाने की मांग की गई है. साथ ही इस परीक्षण की वजह से होने वाली मानवाधिकार के उल्लंघन तथा लैंगिक अत्याचार पीडित महिला को होने वाली तकलिफों का हवाला भी दिया गया है. जिन्हें ध्यान में रखते हुए कौमार्य परीक्षण पद्धति के प्रयोग को रोकने हेतु आवश्यक निर्देश जारी करने की मांग की गई है.
केंद्र सरकार के संदर्भ क्रमांक 4 के परिपत्रक का हवाला देते हुए न्याय वैद्यक मामलों को संभालने में सक्षम रहने वाले सभी वैद्यकीय अधिकारियों को मार्गदर्शक पुस्तिका में निर्देशित किए गए अनुसार इस तरह के मामलों को भी देखना अनिवार्य रहने के संदीर्भ में संबंधितों को सूचित किया जाए. मार्गदर्शक निर्देशों का पालन विभाग के अधिपत्य में रहने वाली सभी संस्थाओं के मार्फत किया जाए तथा कौमार्य परीक्षण पद्धति का प्रयोग अनैसर्गिक व मानवाधिकार का उल्लंघन रहने की बात सभी प्रशिक्षणार्थियों के ध्यान में लायी जाए. इसके अलावा इस विषय का समावेश किसी भी आरोग्य विज्ञान पाठ्यक्रम में नहीं रहने की बात महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विद्यापीठ की ओर से जारी पत्र के जरिए सूचित किए जाने की बात भी वैद्यकीय शिक्षा व आयुष विभाग के आयुक्त द्बारा स्पष्ट की गई है.

* इन संस्थाओं के प्रयास रहे सफल
मुंबई की ‘सेहत’ नामक सामाजिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर काम करने वाली संस्था ने वर्ष 2017 में कौमार्य परीक्षण से संबंधित जानकारी को वैद्यकीय पढाई हेतु प्रयोग में लायी जाने वाली पाठ्यपुस्तकों व संदर्भ ग्रंथों के हटाए जाने हेतु प्रयास किया था. वहीं अक्तूबर 2017 में राज्य के वैद्यकीय शिक्षा व संशोधन संचालनालय, महाराष्ट्र स्वास्थ्य विद्यापीठ व सेहत संस्था के संयुक्त प्रयासों से एमबीबीएस के विद्यार्थियों हेतु लिंगभाव संवेदनशील पाठ्यक्रम तैयार किया गया.

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