प्रतीक्षा मेहत्रे के हत्यारे राहुल को उम्रकैद
-
अमरावती न्यायालय का महत्वपूर्ण फैसला
-
साई नगर की वृंदावन कॉलोनी में हुआ था बहुचर्चित हत्याकांड
-
हत्याकांड के बाद से जेल में ही था राहुल भड
अमरावती/प्रतिनिधि दि.20 – स्थानीय साई नगर के समीप वृंदावन कॉलोनी के ओंकार मंदिर के पास तीन वर्ष पहले घटीत प्रतीक्षा मेहत्रे नामक युवती की हत्या के मामले में आज जिला व सत्र न्यायालय ने हत्यारे राहुल भड को दफा 302 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई है. इस हत्याकांड के बाद से आरोपी राहुल भड यह जेल में ही था. 23 नवंबर 2017 को दोपहर 1 बजे के दौरान साई मंदिर के समीप घटीत इस हत्याकांड के बाद शहर की कानून व सुव्यवस्था को लेकर विविध महिला संगठनों ने आंदोलन भी किये थे.
प्रशांत नगर निवासी प्रतीक्षा मुरलीधर मेहत्रे (24) यह घटना के दिन 23 नवंबर 2017 को साईनगर परिसर के वृंदावन कॉलोनी के निकट ओंकार मंदिर में अपनी सहेली के साथ दुपहिया पर दर्शन के लिए जा रही थी. वहीं उसका मित्र राहुल बबनराव भड (27) भी प्रतीक्षा का पीछा कर वहां पहुंचा था. दोनों के बीच वृंदावन कॉलोनी के चौराहे पर विवाद हुआ और राहुल भड ने अपने साथ लाए हुए चाकू से प्रतीक्षा की गर्दन और सीने पर चाकू से वार किये. उसी समय प्रतीक्षा की सहेली ने परिसर के लोगों की मदद से प्रतीक्षा को इर्विन अस्पताल पहुंचाया. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित किया था.
प्रतीक्षा पर हमला करने के बाद हत्यारा अपनी दुपहिया पर दिग्रस भाग गया था. वहां वह आत्महत्या की प्रयास में था. उसी समय राहुल के मोबाइल लोकेशन के आधार पर राजापेठ पुलिस ने उसे दबोच लिया था. राजापेठ थाने के एपीआई गजानन मेहत्रे ने मामले की जांच कर लगभग 150 पन्नों की चार्जशीट स्थानीय न्यायालय में 20 फरवरी 2018 को पेश की थी. प्रमुख जिला व सत्र न्यायाधीश उर्मिला जोशी के न्यायालय में इस मुकदमे की सुनवाई शुरु हुई तब न्यायालय में मृतक प्रतीक्षा के पिता मुरलीधर मेहत्रे, अस्पताल में उसका पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर, पंच, साईनगर स्थित ओंकार मंदिर के सेवक और इस हत्याकांड की चष्मदीद गवाह प्रतीक्षा की सहेली आदि के बयान दर्ज किये गए थे. सरकार की ओर से न्यायालय में सहायक सरकारी अभियोक्ता परिक्षित गणोरकर ने प्रभावी रुप से पक्ष रखा. न्यायालय ने हत्यारे राहुल भड को दफा 302 के तहत उम्रकैद और 5 हजार रुपए जुर्माना तथा जुर्माना न भरने पर 1 वर्ष अतिरिक्त कैद की सजा सुनाई. वहीं दफा 357 के तहत मृतक प्रतीक्षा मेहत्रे के परिजनों को उचित मुआवजे के शिफारिश करने का प्रस्ताव भी न्यायालय ने दिया. न्यायालय में पैरवी अधिकारी के रुप में विलास ठाकुर ने काम संभाला.
इस तरह है घटना की पृष्ठभूमि
घटना के बाद प्रतीक्षा मेहत्रे की हत्याकांड को लेकर जो पृष्ठभूमि सामने आयी थी. उसके अनुसार प्रतीक्षा मेहत्रे के हत्यारे राहुल भड के साथ प्रतीक्षा के प्रेम संबंध थे, लेकिन दोनों के प्रेम संबंधों को प्रतीक्षा के परिजनों को विरोध था. दोनों ने परिजनों की सहमति के बगैर विवाह किया था, लेकिन दोनों अपने-अपने घर रहते थे, उसके बाद दोनों के संबंधों में दरार पडी. राहुल भड यह प्रतीक्षा को अपने घर रहने की मांग करने लगा. यह मामला बाद में स्थानीय पारिवारिक न्यायालय में दाखिल हुआ. अपने घर रहने आने के लिए राहुल अपनी सहेली प्रतीक्षा पर दबाव डालने लगा, उसे फोन पर धमकियां देने लगा था. घटना से पहले इस मामले में कुछ शिकायतें फे्रजरपुरा थाने में दर्ज हुई थी. घटना के दो दिन पहले भी प्रतीक्षा मेहत्रे के पिता ने राहुल के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की थी. जिसपर पुलिस ने समय पर कोई कार्रवाई न करने का आरोप भी घटना के बाद किया जा रहा था. दोनों के बीच चल रहे इस दबाव के दौरान प्रतीक्षा मेहत्रे अपनी सहेली के साथ हमेशा की तरह 23 नवंबर 2017 को दुपहिया पर साई मंदिर के निकट वृंदावन कॉलोनी स्थित ओंकार मंदिर में दर्शन के लिए गई थी. इस दौरान राहुल उसका पीछा कर रहा था. प्रतीक्षा का पीछा कर रहे राहुल ने बदले की भावना से एक चाकू भी खरीदा था. राहुल ने प्रतीक्षा को वृंदावन कॉलोनी के पास घेरा ओैर उसे समझाने का प्रयास किया, लेकिन जब वह मानने के लिए तेैयार नहीं थी. तब राहुल भड ने उसपर चाकु से हमला किया. अपने सामने ही सहेली खून से लतपथ होकर वहां गिरी थी. प्रतीक्षा की सहेली ने भागकर ओंकार मंदिर के सेवक राजेंद्र येते से मदद की गुहार लगाई. उन्होंने तत्काल घटनास्थल पहुंचकर गंभीर घायल अवस्था में गिरी प्रतीक्षा को तत्काल इर्विन अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने वहां मृत घोषित किया. घटना के बाद राजापेठ पुलिस ने फरार राहुल भड की तलाश में पुलिस दल जगह-जगह रवाना की. उसका मोबाइल लोकेशन दिग्रस के पास मिल रहा था वहां रवाना हुए पुलिस दल ने देर रात राहुल भड को गिरफ्तार कर थाने में लाया था. उसके खिलाफ दफा 302 के तहत अपराध दर्ज कर मामला न्यायालय में न्यायप्रविष्ट किया गया था. घटना के बाद से लेकर तो फैसला सुनाए जाने तक राहुल भड यह जेल में ही कैद था.