अमरावतीमुख्य समाचार
जुड़वाशहर को प्रतीक्षा है एक सर्वमान्य नगराध्यक्ष की
आम चुनाव के लिए इच्छुकों की हलचले तेज हुई
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नगर पालिका अचलपुर
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भाजपा,प्रहार और मनसे में चुनावी ऊर्जा का संचार
परतवाड़ा/अचलपुर दि. 8 – गंगा जमुनी तहजीब के इस अफलातून शहर के अगले चुनाव के लिए नए चेहरो के साथ ही अब पुराने घाग लोग भी मैदान में उतरने की तैयारी करते नजर आ रहे है.
निवर्तमान नगराध्यक्ष सुनीता फिस्के और उनके पति स्वीकृत पार्षद नरेंद्र फिस्के का अगले चुनाव में खड़ा रहना लगभग तय माना जा रहा है.फिस्के समर्थकों का कहना है कि किसी भी सूरत में बिलायतपुर-काला हनुमान से फिस्के का निर्वाचन तय रहेंगा.बताते है कि फिस्के दंपत्ति ने अपने वार्ड क्षेत्र में भरपूर विकास कार्य किये है.इसके बलबूते पर नरेंद्र को एक मर्तबा पुनः पालिका में करतब दिखाने का मौका जरूर मिलना है.
पालिका के उपाध्यक्ष पद पर विराजमान भाई शशि उर्फ शशिकांत जैस्वाल नगर पालिका के पूरे कार्यकाल में पहले व्यक्ति है जो अविवादित कहे जा सकते है.पांच वर्षों में कम से कम उनके नाम से लोगो ने नारियल नही फोड़े है.उनकी कुर्सी पर भी कभी आंच नही आई.भारतीय जनता पार्टी से वो आज तक एकनिष्ठ है.शशि ने अपने पत्ते अभी ओपन नही किये किंतु समर्थको का कहना है कि पेंशनपुरा,महावीर चौक, सैलानी प्लाट में उनका प्रभुत्व आज भी बरकरार है.
पार्टी स्तर पर यदि हम स्थानीय निकाय के चुनाव की बात करे तो कांग्रेस,राष्ट्रवादी ,शिवसेना ,भाजपा और बच्चू कडू की प्रहार जनशक्ति पार्टी इस चुनाव में महत्वपूर्ण होंगी.बच्चू कडू के लिए अभी विधानसभा दूर है इसलिए बीच बीच मे वो ट्वेंटी ट्वेंटी खेलकर अपने दम और प्रभाव को टटोलते रहते है.यही वजह की राज्यमंत्री अभी जिला मध्यवर्ती बैंक और बाद में नगर पालिका में भी अपना दमखम दिखाने की पूरी कोशिश करेंगे.सन 2024 के विधानसभा में यदि अचलपुर आरक्षित हो जाता है तो तब बच्चू को अपने लिए अन्य सुरक्षित मतदार संघ भी तलाश करना होंगा.
पिछले नगर पालिका चुनाव में जनता ने सीधे जनादेश देकर सुनीता फिस्के को अध्यक्ष की बागडोर सौपी थी.कांग्रेस के श्रीमती साजिद फुलारी को चुनाव में पराजय मिली थी.भारतीय जनता पार्टी के रूपेश ढेपे भी चुनाव हार गए थे.रूपेश को तो मतदाताओं ने स्पष्ट रूप से अमान्य ही कर दिया था.केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ रहने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी के लिए अचलपुर नगर पालिका में आज तक कोई जगह निर्माण नही हो पाई है.संघ के संस्कार से लेकर भाजपाई हुनर के बाद भी पालिका स्तर तक भाजपा में राजनीतिक शून्यता ही दिखाई देती रही.कभी मुरलीधर देशपांडे,प्रकाश शेरेकार,झुम्बरलाल पांडे,गजानन डोंगरे, राजकुमार महल्ले आदि नाम से सदन भरापूरा रहता था.पिछले बीस वर्ष में एक मर्तबा गजानन कोल्हे और रूपेश ढेपे नपा में पहुंचे जरूर लेकिन बाद में वो भी हाशिये पर ही रह गए.मनपा की सत्ता काबिज कर यदि देवेंद्र राज्य के मुख्यमंत्री बन सकते है तो अचलपुर में भी ऐसा कुछ होना ही चाहिए था.लेकिन अमरावतीं जिला भाजपा में दमदार नेतृत्व का अभाव होने से अचलपुर में कभी भी कोई नया नेतृत्व पनप ही नही सका है.
कांग्रेस में भी अभी किसी उभरते हुए चेहरे का जिक्र नहीं किया जा सकता.जो पुराने है वो अब औऱ भी ज्यादा पुराने हो गए.कभी सिक्का चला करता था कांग्रेस के नाम का .लोगो ने सोनिया और राजीव के नाम पर शहर में फटे हुए नोट भी चलाकर दिखा दिए है.अब युवाओं में कांग्रेस ढूंढनी पड़ती है.वसुधाताई ने बहोत सालों तक कांग्रेस की नाव को खींचने का काम किया..बाद में वो राष्ट्रवादी की हो गई.पिछला विधानसभा भी लड़ चुकी है.बबलू देशमुख पूरा जोर लगा रहे है पार्टी को संवारने के लिए.इस जन्मदिन पर बबलू देशमुख के काफी सारे बैनर जुड़वाशहर में लगाये गए थे.सभी पोस्टरों में बबलू को ‘लोकनेता ‘करके प्रचारित किया गया.किसी जमाने में जयप्रकाश नारायण को लोकनेता खुद जनता कहती थी.अब बबलू को लोकनेता बनाकर लॉन्च किया जा रहाहै. वास्तव में नगर पालिका की हद तक पूर्व नगराध्यक्ष व पार्षद लल्लूप्रसाद दीक्षित यही कांग्रेस को लेकर चलते नजर आ रहे.नगर पालिका के कानून कायदे का गहरा अध्य्यन होने से हर अध्यक्ष के कार्यकाल में महाराज की वन मैन आर्मी हावी ही रही है.कांग्रेस से श्रीकांत झोड़पे के नाम की भी चर्चा सुनी जा रही है.
सत्ताधारी शिवसेना यह अचलपुर नपा सीमा की हद तक प्रायवेट लिमिटेड हो गई है.नगराध्यक्ष रहते हुए सुनीता फिस्के को विधानसभा की टिकट भी मिल जाना उनकी मातृश्री तक की पहुंच बताई जाती है,लेकिन उनके पार्टी के भीतर ही विरोधी कहते है कि बच्चू के कहने पर अचलपुर में सेना का उम्मीदवार फाइनल किया गया था.इसे एक सोची समझी रणनीति बताया जा रहा.आरोप प्रत्यारोप से फिस्के पर फर्क नही पड़ता,उनके हौसले बुलंद है.
राष्ट्रवादी को नगर पालिका की सीमा तक सल्लू भाई उठाकर चल रहे है.राज्य में हालांकि सेना से ज्यादा पावर रांका को दिखाई देता,किंतु अचलपुर में गिने-चुने चेहरे ही घुमफिरकर सामने आ जाते है.पिछले असेंबली इलेक्शन को शिवसेना से लड़ चुकी सुरेखा ठाकरे एक मर्तबा पुनः एनसीपी के साथ मे खड़ी है.
राज्यमंत्री बच्चू कडू ने जरूर नगर पालिका में अपने सिपहसालार तैयार कर रखे है.ये अलग बात है कि वो नगराध्यक्ष के साथ गठबंधन कर खुद का अस्तित्व खो बैठे.प्रवीण पाटिल,संजय तट्टे,बंटी ककरानिया,विजय थावानी,बंटी उपाध्याय आदि ने अपने अपने वार्ड में कुछ ना कुछ खास करके दिखाने की पूरी कोशिश की है.फिलहाल बंटी ककरानिया स्वच्छता सभापति है. कचरे का मसला पूरे शहर के लोगो को परेशान कर रहा.इस कचरे को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राज पाटिल मैदान में आ चुके.एक सफल आमरण अनशन करने के बाद उनके भी हौसले भी बुलंद है.विद्या निकेतन में सड़क की दुर्दशा से वो लाइमलाइट में आये है.
बच्चू कडू के मंत्री होने का निवर्तमान नगरसेवक कितना राजनीतिक फायदा उठा पाएंगे यह भी आकलन का विषय है.
एक वाक्य में यदि नागरिको की व्यथा को कहे तो सभी मतदाता अपने अपने नगरसेवकों से खासे नाराज हैं. अब अपने आक्रोश को भुनाने का समय मतदाताओं को मिलनेवाला है.लोग सब दर्द से बेहाल है घावों की तरह, दिल मे एक सोच धधकती है अलावो की तरह,अपनी बस्ती में भी आती है बहारें लेकिन- जब भी आती है तो आती है चुनावो की तरह.
भारतीय जनता पार्टी अब अचलपुर-मेलघाट में व्याप्त शून्य हो भरकर निकालना चाहती है.मेलघाट में तो पूर्व विधायक प्रभुदास भिलावेकर पुनः सक्रिय हो चुके है.इधर अचलपुर परतवाड़ा में शक्ति फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष ठाकुर श्यामसिंह जियालाल गड्रेल एक नया चेहरा बनकर सामने आ रहे है.अभी हाल ही में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल (दादा)के शहर आगमन पर श्यामसिंह का विधिवत अधिकृत पार्टी प्रवेश हुआ है.पूरे सम्मान के साथ श्याम ठाकुर को अचलपुर मंडल बीजेपी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया.इस मौके पर पूर्व पालक मंत्री व विधायक प्रवीण पोटे,विधायक संजय कूटे,मनपा नेता तुषार भारतीय, प्रदेश ओबीसी उपाध्यक्ष गजानन कोल्हे ,जिला उपाध्यक्ष प्रमोदसिंह गड्रेल, जिला महामंत्री प्रशांत शेगोकार,प्रवीण तायड़े,जिप सदस्य प्रताप अभ्यंकर,महिला आघाडी की जया नेरकर,एड मनीष देशमुख,सोहन मेश्राम,ब्रिजेश यादव पुणे,प्रदीप गुप्ता पुणे,आशीष पवार(भाजयुमो), राम बघेल,नितिन कुरोठिया ,सागर गड्रेल आदि मान्यवर उपस्थित थे.
भारतीय जनता पार्टी की इसे एक शुरुआत मात्र कहा जा सकता है.सिर्फ कार्यकर्ता जमा करने से ही श्यामसिंह को फतह नही मिल सकती है.ऊपर बैठे वरिष्ठों के बिना अचलपुर में सामान्य नागरिको तक नही पहुंचा जा सकता है.हालांकि अपने दौरे में प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत दादा ने गड्रेल एंड टीम की मेहनत की काफी प्रशंसा कर दिखाई है.अब चुनाव वार्ड से होना है.अध्यक्ष का चुनाव भी सीधे जनता से न होकर नपा सदस्यों के मार्ग नगराध्यक्ष का चयन किया जायेगा.इसलिए बिसात पर पूरा शहर ही बिछाया जायेगा.सिर्फ एक वार्ड अथवा किसी व्यक्ति विशेष तक आधारित रणनीति नगर पालिका अचलपुर पर परचम नही फहरा पाएंगी.जो भी पार्टी पूरे शहर का विचार कर अचलपुर का विजन पेश करेंगी उसे कुछ प्रतिफल जरूर मिल पायेगा.बहरहाल अभी तो हर पार्टी को अपने लिए ही व्यवस्थित ग्राउंड तैयार करना होंगा.कार्यकर्ता निश्चित रूप से बीजेपी में दिखाई देते,मतदाता किसके साथ होंगे,यह समय ही तय करेगा.लेकिन जमीनी स्तर पर बच्चू का प्रहार और भाजपा के बीच ही सियासी शतरंज का गेम होने की संभावना जताई जा रही है.