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16 हजार में इंजेक्शन बेचते डॉक्टर के साथ वार्डबॉय गिरफ्तार

नागपुर में रेमडेसिविर की कालाबाजारी, रैकेट का पर्दाफाश

  •  कामठी स्थित आशा हॉस्पिटल व हिंगणा स्थित शालिनीताई मेघे हॉस्पिटल पर छापा

नागपुर/प्रतिनिधि दि. 16 – कोरोना बाधित मरीजों के रिश्तेदार रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए दरदर भटक रहे है. वहीं नागपुर शहर पुलिस ने रेमडेसिविर की कालाबाजार करने वाले रैकेट का कल गुरुवार रात को पर्दाफाश किया है. इसमें डॉक्टर समेत 3 वार्डबॉय को गिरफ्तार किया गया है.
पिछले कुछ दिनों से रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी बडी मात्रा में हो रही थी. इस संदर्भ में पालकमंत्री डॉ.नितीन राउत ने पुलिस आयुक्त अमितेशकुमार के साथ चर्चा की थी. पुलिस आयुक्त ने इसे गंभीरता से लेकर अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिये थे. कालाबाजारी पर नजर रखने वाली पुलिस को कामठी में आशा हॉस्पिटल के डॉ.लोकेश साहू के पास 16 हजार रुपयों में एक रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध रहने की जानकारी मिली. पुलिस आयुक्त ने जोन 5 के डीसीपी निलोत्पल को कार्रवाई के निर्देश दिये. निलोत्पल ने डमी ग्राहक के माध्यम से डॉ.साहू के साथ संपर्क किया. डॉ.साहू ने 2 रेमडेसिविर रहने की बात कही. डमी ग्राहक को डिलेवरी करते समय पुलिस ने डॉ.साहू को गिरफ्तार किया है. उससे पूछताछ करने पर प्रताप नगर स्थित स्वस्थम हॉस्पिटल के दो वार्डबॉय के पास रेमडेसिविर रहने की बात कही. निलोत्पल ने स्वस्थम हॉस्पिटल के वार्डबॉय के साथ संपर्क साधा. वह भी रेमडेसिविर बिक्री करने के लिए तैयार हुआ. उसे भी रंगे हाथों पकडा गया. उनके पास से 7 इंजेक्शन जब्त किये गए. उनकी कडी जांच करते हुए हिंगणा स्थित शालिनीताई मेघे हॉस्पिटल में एक वार्डबॉय रैकेट में सहभागी रहने का खुलासा हुआ. पुलिस ने शालिनीताई मेघे हॉस्पिटल के उस वार्डबॉय को भी हिरासत में लिया. उसके पास से 6 इंजेक्शन मिले. पुलिस दल ने देर रात तक डॉ.साहु और 3 वार्डबॉय के साथ पूछताछ की. आरोपियों की पूछताछ में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का बडे रैकेट सामने आने की संभावना है.

  • मरीजों को इंजेक्शन नहीं लगाये जाते

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रैकेट में डॉक्टर के साथ अस्पताल के कर्मचारी भी सहभागी है. कोरोना वार्ड में किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाता. इसका फायदा लेकर कर्मचारी रेमडेसिविर की चोरी करते है. जिस मरीज के नाम पर इंजेक्शन मांगा जाता है, उसे लगाया नहीं जाता. इंजेक्शन की कालाबाजारी कर उसे 10 से 20 हजार में बेचते है. इस रैकेट की कडी जांच करने पर अनेक खुलासे हो सकते है.

 

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