मुंबई दि.7– विधान मंडल में बहुमत के आधार पर अजित पवार का गुट ही असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी रहने का निर्णय केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा दिया गया. साथ ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का घडी चुनाव चिन्ह भी अजित पवार गुट को दे दिया गया. इस फैसले को राकांपा के संस्थापक अध्यक्ष शरद पवार के लिए काफी बडा राजनीतिक झटका माना जा रहा है. वहीं इससे पहले कुछ ऐसा ही फैसला शिवसेना में हुई बगावत के बाद भी निर्वाचन आयोग द्वारा दिया गया था. जब शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिवसेना बताते हुए उन्हें शिवसेना का चुनावी चिन्ह धनुष्य आवंटित कर दिया गया था. इस पूरे मामले को लेकर तंज कसते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानि मनसे द्वारा कहा गया कि, भले ही मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने किसी जमाने में शिवसेना से अलग होकर अपनी खुद की नई पार्टी बनाई, लेकिन अपने बुढे चाचा की पार्टी के नाम व चुनाव चिन्ह को छिनने का काम नहीं किया. मनसे की ओर से दिये गये इस बयान को सीधे-सीधे राकांपा नेता व उपमुख्यमंत्री अजित पवार के लिए तंज माना जा रहा है.
इस संदर्भ में मनसे द्वारा मायक्रोब्लॉगिंग प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट शेअर करते हुए कहा कि, बुढे चाचा द्वारा बनाई गई पार्टी को दूसरे के दम पर छिन लेना बेहद आसान है. परंतु अपने वरिष्ठ नेता का अपमान किये बिना अपने दम पर अपना खुद का राजनीतिक दल स्थापित करना और स्वतंत्र चुनाव चिन्ह हासिल करना अपने आप में बडी बात है. जिसके लिए मनसे प्रमुख राज ठाकरे जैसे संघर्ष व संयम की जरुरत पडती है.