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हडताल के दौरान नागरी सुविधाओं का क्या?

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा सवाल

* सरकार ने हडताल को बताया गैरकानूनी
* एड सदावर्ते ने हडताल के खिलाफ दायर की याचिका
मुंबई/दि.17- विगत चार दिनों से राज्य में सरकारी व अर्धसरकारी कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हडताल चल रही है. जिसकी वजह से कई क्षेत्रों में स्वास्थ्य एवं शिक्षा संबंधी सेवाओं पर विपरीत परिणाम हुआ है. जिसे लेकर एड. गुणरत्न सदावर्ते ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि यद्यपि राज्य के सरकारी व अर्धसरकारी कर्मचारियों के पास अपनी किसी भी मांग को लेकर हडताल करने का अधिकार है. परंतु इस हडताल के दौरान आम नागरिकों के मूलभूत व मौलिक अधिकारों के लिए सरकार व्दारा कौन से कदम उठाएं गए है.
मुंबई हाईकोर्ट व्दारा पूछे गए सवाल पर राज्य सरकार ने जवाब देते हुए बताया कि, पुरानी पेंशन योजना के लिए कर्मचारियों व्दारा की जा रही हडताल पूरी तरह से गैरकानूनी है और इस मांग के लिए कर्मचारियों को हडताल पर जाने का कोई मूलभूत या नैतिक अधिकार नहीं है. साथ ही हडताल की वजह से सर्वसामान्यों को आवश्यक सेवाओं व सुविधाओं से वंचित न रहना पडे, इसके लिए सरकार व्दारा तमाम आवश्यक प्रयास किए जाएंगे.
उल्लेखनीय है की अपनी याचिका में एड. गुणरत्न सदावर्ते ने कहा कि यद्यपि कर्मचारियों की मांग अपनी जगह पर सही है, लेकिन उनके व्दारा हडताल का रास्ता अख्तियार करना पूरी तरह से गलत है. बल्कि जिस तरह से एसटी कर्मचारियों ने अपनी मांगों के लिए अदालतीय लडाई लडी थी उसी तरह से सरकारी व अर्धसरकारी कर्मचारियों ने भी अदालत के जरिए अपनी मांगों के लिए संघर्ष करना चाहिए.

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