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जर्जर इमारतों पर गंभीर क्यों नहीं मनपा!

समीक्षा बैठक में केवल चर्चा, कोई निर्णय नहीं

  •  केवल पुरानी इमारतों के ‘स्ट्रक्चरल ऑडिट’ के ही निर्देश हुए

  •  ‘मंडल’ की खबर से मुद्दा उठाने मजबूर हुए पार्षद

अमरावती/प्रतिनिधि दि.28 – आने वाले महिने में यानी जून महिने में मान्सून की शुरुआत होगी. जैसे की मौसम विभाग व्दारा व्यक्त किये गए अनुमानों के अनुसार इस वर्ष बारिश समय पर और औसत से ज्यादा होगी. हर वर्ष मनपा प्रशासन मान्सून से दो माह पहले मान्सून पूर्व तैयारियों में जुट जाता है, लेकिन इस वर्ष मनपा का समूचा अप्रैल महिना और मई महिना कोरोना से निपटने में गया और कल गुरुवार को महापौर चेतन गावंडे ने मान्सून की पूर्व तैयारी की समीक्षा की. हमेशा की तरह इस बार भी केवल नाला सफाई पर लक्ष केंद्रीत किया गया और आपातकालीन कक्ष स्थापित करने का निर्णय लिया. उल्लेखनिय है कि ‘दैनिक अमरावती मंडल’ ने 20 मई को प्रकाशित अंक में शहर के जर्जर मकानों की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला था. इस कारण कल हुई मनपा की समीक्षा बैठक में मजबुरन जर्जर मकानों की स्थिति पर समीक्षा की गई, लेकिन इस बार भी समीक्षा बैठक में जर्जर मकानों को गिराने बाबत मनपा ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया. इस बैठक में शहर के 30 वर्ष पुराने इमारतों का ‘स्ट्रक्चरल ऑडिट’ करने के निर्देश भी इस बैठक में दिये गए.
वैसे हर वर्ष ही मनपा मान्सून पूर्व तैयारी को लेकर समीक्षा बैठक लेने की कागजाती खानापूर्ति करती है और हर वर्ष मानसून पूर्व तैयारी के तौर पर केवल अंबा नाले का मलबा हटाने का काम मात्र प्रामाणिकता से होता है और हर वर्ष ही शहर के सभी प्रभागों में पहली ही बारिश में मनपा के मान्सून पूर्व तैयारी की पोलखोल हो जाती है. कई इलाकों में पानी धस जाता है तो अनेकों मार्केट और व्यापारी संकुल के नीचले हिस्से में पानी भर जाता है. विशेषकर हर वर्ष शहर के किसी न किसी इलाके में मान्सून में कोई न कोई शिकस्त इमारत ढह जाती है. हालांकि नियम के अनुसार मनपा ने शिकस्त इमारत के मालिक को अगर उस इमारत में कोई किरायेदार रह रहा है, तो उसे तत्काल मकान खाली करवाकर 15 दिन के भीतर वह जर्जर मकान स्वयं मालिक को गिराने के निर्देश देने पडते है. बावजूद इसके अगर मकान मालिक अपनी शिकस्त इमारत गिराने में आनाकानी करता है या मनपा के निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो इस स्थिति में उस जर्जर मकान को गिराने मे लगने वाली मशनरी, पुलिस बंदोबस्त, मनपा का मानव संसाधन से लेकर तो गिराये जाने वाली इमारत का मलबा हटाने जो खर्च आता है, वह उस मकान मालिक से वसूलने का नियम है, लेकिन हर वर्ष इस नियम की धज्जियां उडाकर मनपा केवल जर्जर इमारतों के मालिकों को केवल नोटीस देकर अपना कर्तव्य निभाकर हाथ उपर कर देती है. फिर बरसात में वह मकान गिर भी गया तो मकान मालिक को जिम्मेदार ठहराया जाता है.

  • जर्जर मकान के लिए क्या है मनपा के नियम

जर्जर मकान को लेकर मनपा व नप क्षेत्र के लिए सरकार ने नियमावलि बनाई है. उसके अनुसार मनपा ने शिकस्त इमारत के मालिक को अगर उस इमारत में कोई किरायेदार रह रहा है, तो उसे तत्काल मकान खाली करवाकर 15 दिन के भीतर वह जर्जर मकान स्वयं मालिक को गिराने के निर्देश देने पडते है. बावजूद इसके अगर मकान मालिक अपनी शिकस्त इमारत गिराने में आनाकानी करता है या मनपा के निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो इस स्थिति में उस जर्जर मकान को गिराने मे लगने वाली मशनरी, पुलिस बंदोबस्त, मनपा का मानव संसाधन से लेकर तो गिराये जाने वाली इमारत का मलबा हटाने जो खर्च आता है, वह उस मकान मालिक से वसूलने का नियम है.

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