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निजी अस्पतालों को कोविड परमिशन देने में देरी क्यों?

पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे का जिला व मनपा प्रशासन से सवाल

  • शहर में कोविड बेड संख्या बढाये जाने को बताया जरूरी

अमरावती/दि.21 – इस समय अमरावती शहर में कई ऐसे अस्पताल है, जिनके पास आयसीयू व ऑक्सिजन बेड की सुविधा उपलब्ध रहने के साथ ही ऑक्सिजन कर्न्व्हटर की भी व्यवस्था है. यानी वे अपने यहां भरती रहनेवाले मरीजों के लिए बाहर से कृत्रिम ऑक्सिजन नहीं मंगाते, बल्कि ऑक्सिजन कर्न्व्हटर यंत्र के जरिये वातावरण से सीधे शुध्द ऑक्सिजन प्राप्त करते गंभीर स्थितिवाले मरीजों हेतु ऑक्सिजन उपलब्ध कराते है. ऐसे अस्पतालों को जिला प्रशासन द्वारा जल्द से जल्द कोविड अस्पताल के रूप में मान्यता देकर कोरोना संक्रमित मरीजों को भरती करने की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि शहर में कोविड संक्रमित मरीजोें हेतु कम से कम 100 अतिरिक्त बेड उपलब्ध हो सके. इस आशय की मांग पूर्व जिला पालकमंत्री व विधान परिषद सदस्य प्रवीण पोटे पाटील द्वारा जिला प्रशासन से की गई है.
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील ने कहा कि, विगत फरवरी व मार्च माह के दौरान अमरावती शहर व जिला समूचे देश में कोविड संक्रमण की वजह से लगभग बदनाम हो रहा था. किंतु आज इसी अमरावती जिले में नागपुर सहित यवतमाल, अकोला, वाशिम व बुलडाणा जैसे बाहरी जिलों के कोविड संक्रमित मरीजों को इलाज हेतु भरती कराया जा रहा है और हमारे डॉक्टरों द्वारा हर एक मरीज की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे है. हालांकि इसकी वजह से अमरावती जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं व सुविधाओं पर अतिरिक्त बोझ पड रहा है और यहां पर बेड सहित ऑक्सिजन की कमी व किल्लत पैदा हो गयी है. ऐसे आडे वक्त में अमरावती शहर के कई नामांकित डॉक्टर स्वयंस्फूर्त तौर पर मरीजों की सेवा हेतु आगे आ रहे है और उन्होंने अपने अस्पतालों को कोविड अस्पताल में रूपांतरित करने हेतु प्रशासन से अनुमति मांगी है. ऐसे में प्रशासन द्वारा मौजूदा वक्त की जरूरत को देखते हुए अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा रहनेवाले अधिक से अधिक अस्पतालों को कोविड मरीज भरती करने की अनुमति दी जानी चाहिए. किंतु प्रशासन द्वारा ऐसा करने में देरी क्यों की जा रही है, यह समझ से परे है.
पूर्व जिला पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील के मुताबिक इस समय इर्विन अस्पताल परिसर में कई एम्बुलेन्स कोविड संक्रमित मरीजों को लेकर खडी रहती है और उन मरीजों के रिश्तेदार शहर के हर एक कोविड अस्पताल में अपने मरीज को भरती करने हेतु बेड की व्यवस्था के लिए घुमते है. चार दिन पहले तक जिला प्रशासन द्वारा जिले के कोविड अस्पतालों में रिक्त रहनेवाली बेड संख्या को लेकर आंकडे जारी किये जाते थे, किंतु विगत चार दिनों से यह जानकारी भी नहीं दी जा रही. ऐसे में पता ही नहीं चल रहा कि, कहां पर कितने बेड खाली है. वहीं दूसरी ओर प्रशासन के पास अमरावती शहर में 100 अतिरिक्त बेड उपलब्ध करने का पर्याय खुला हुआ है. किंतु प्रशासन द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा, जो समझ से परे है.

कोविड अस्पतालों में उपलब्ध हो सर्विस बॉय की सुविधा

पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील के मुताबिक सुपर कोविड अस्पताल में भरती मरीज किस वॉर्ड क्रमांक और किस पलंग क्रमांक पर भरती है, इसकी जानकारी उसके परिजनों को दी जानी चाहिए. साथ ही यहां पर 20 से 25 सर्विस बॉय की व्यवस्था भी की जानी चाहिए, ताकि यदि मरीज को बाहर से कुछ मंगवाना है, या परिवार द्वारा मरीज तक खाने-पीने की कोई चीज भिजवानी है, तो यह काम सर्विस बॉय के जरिये किया जा सके. फिलहाल इलाज पूरा होने तक मरीजों को कोविड अस्पताल परिसर से बाहर जाने की अनुमति नहीं होती. वहीं उनके परिजनों को भीतर आने की इजाजत नहीं दी जाती. ऐसे में यदि किसी मरीज को किसी सामान की जरूरत पडती है, तो उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पडता है.

दो-तीन दिन में ऑक्सिजन की हो जायेगी पर्याप्त व्यवस्था

इसके साथ ही पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील ने यह भी बताया कि, इस समय भिलाई व पुणे से अमरावती जिले को लिक्विड ऑक्सिजन के टैंकर भिजवा दिये गये है. साथ ही आगामी एक-दो दिनों में केंद्र सरकार द्वारा ऑक्सिजन एक्सप्रेस के जरिये भी सभी जिलों को लिक्विड ऑक्सिजन की खेप उपलब्ध करा दी जायेगी. अत: ऑक्सिजन की किल्लत को लेकर किसी ने भी घबराना नहीं चाहिए.

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