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पत्नी अपने मायके के भरोसे जी लेगी, यह उम्मीद करना ही गलत

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पति को लगाई कडी फटकार

* पत्नी व बच्चों को मासिक खर्च की राशि देने का दिया निर्देश
नागपुर/दि.18– एक महिला अपने सहित अपनी बेटी का अपने मायके के भरोसे गुजर-बसर करें इस तरह की उम्मीद रखना ही बिल्कूल गलत बात है. साथ ही पत्नी व अपने बच्चों की देखभाल करना पति का कानूनी व नैतिक दायित्व है. इस आशय के शब्दों में मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने एक याचिकाकर्ता व्यक्ति को फटकार लगाने के साथ ही उसकी पत्नी व बच्ची के लिए 30 हजार रुपए के मासिक खर्च की राशि अदा करने का आदेश कायम रखा.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक नागपुर निवासी दम्पति को 3 वर्ष की बेटी है. इस दम्पति का 10 मई 2019 को विवाह हुआ था. जिसके बाद पत्नी को पता चला कि, उसके पति का रिश्तेदारी में ही रहने वाली एक महिला के साथ अनैतिक संबंध चल रहा है. जिस पर आपत्ति उठाए जाने के बाद पति ने अपनी पत्नी को शारिरीक व मानसिक रुप से प्रताडित करने की शुरुआत की. जिसके चलते जनवरी 2022 में पत्नी अपनी बेटी के साथ ससुराल छोडकर अपने मायके में आकर रहने लगी. साथ ही उसने अपने गुजर बसर के लिए निर्वाह भत्ता मिलने हेतु पारिवारिक अदालत में याचिका दाखिल की. जहां से पत्नी के लिए 20 हजार रुपए व बेटी के लिए 10 हजार रुपए प्रतिमाह खावटी देने का आदेश जारी हुआ. जिसके खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में गुहार लगाते हुए कहा कि, उसकी पत्नी उच्च शिक्षित है और खुद भी नौकरी कर सकती है. इसके अलावा उसने अपनी पत्नी की कोई प्रताडना नहीं की. बल्कि वह खुद होकर अपने मायके गई. ऐसे मेें वह अपनी पत्नी और बेटी को खावटी नहीं दे सकता. परंतु अदालत ने पति की इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि, याचिकाकर्ता पति एक निजी कंपनी में मुख्य वित्तीय अधिकारी है और उसे 1 लाख रुपए से अधिक मासिक वेतन है. साथ ही उसकी पत्नी व बेटी को बेहतर जीवन जीने की आदत है. वहीं पत्नी व बेटी के लिए मंजूर खावटी की राशि बहुत अधिक नहीं है. ऐसे में पति ने अपनी पत्नी व बेटी को खावटी की रकम देनी चाहिए.

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