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वन्यजीव बोर्ड की मीटिंग 5 मिनट में खत्म

रिलायन्स के 8 प्रकल्प आनन फानन में मंजूर

* ताडोबा कावल कॉरिडोर में एयरपोर्ट को भी हरी झंडी
नागपुर/दि.3- राज्य वन्यजीव बोर्ड की मंगलवार को बड़े दिनों बाद बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक में केवल पांच मिनट में रिलायन्स कंपनी के आठ प्रकल्पों सहित अनेक प्रोजेक्ट को आनन फानन में वनविभाग की हरी झंडी देने का निर्णय वन मंत्री और बोर्ड के उपाध्यक्ष सुधीर मुनगंटीवार ने की. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस बैठक में आभासी पद्धति से अंतिम क्षणों में उपस्थित हुए थे. वनविभाग के अनेक कोर क्षेत्र से होकर जाने वाले प्रकल्प को भी हरी झंडी दी गई है. जिसमें पेंच के गुगुलडोह के 100 हेक्टेयर घने जंगल में मैंगनिज खनन का प्रस्ताव भी शामिल है. बोर्ड द्वारा आनन फानन में मंजूरी दिए जाने पर सदस्य किशोर रिठे तथा पर्यावरणवादी देबी गोयनका ने हैरानी जताई है. गोयनका ने साफ तौर से आरोप लगाया कि मुनगंटीवार मानव-वन्यजीव संघर्ष के नाम पर क्षेत्र से बाघों की संख्या कम करने पर तुले हुए हैं. याद दिला दें कि हाल ही में घोषित बाघ गणना के अनुसार विदर्भ में सैकड़ों की संख्या में बाघ है. मध्यप्रदेश के बाद महाराष्ट्र इसी कारण बाघों के मामले में देश में अव्वल है.
मंगलवार को हुई बैठक पश्चात मुनगंटीवार ने बताया कि राजुरा तहसील अंतर्गत मूर्ति-विहिरगांव में विमानतल परियोजना को मंजूर किया गया. उसी प्रकार शिवसेना सांसद कृपाल तुमाने के आग्रह पर गुगलडोह में खनन प्रकल्प को मंजूर किया गया है. मुुनगंटीवार ने बैठक 15 मिनट चलने और सभी सदस्यों को कार्यसूची की कॉपी पहले ही दे देने का दावा कर सभी की सहमति से निर्णय का दावा किया. जबकि अनेक सदस्यों ने महत्वपूर्ण प्रकल्पों पर बगैर किसी चर्चा के निर्णय लिये जाने का आरोप लगाया. घने जंगल से होकर गुजरने वाले आठ ओएफसी प्रकल्प मंजूर किए गए हैं. यह रिलायन्स के प्रकल्प है. ओएफसी अर्थात ऑप्टीकल फायबर लाइन. रिलायन्स कंपनी जंगल में जमीन में यह फायबर लाइन बिछाने जा रही है.
मुनगंटीवार ने बताया कि मध्य रेल्वे को इंडियन बस्टर्ड सेंचरी में बगैर अनुमति कार्य आरंभ करने के लिए 20 करोड़ 81 लाख रुपए जुर्माना किया गया है. रेल्वे ने 247 किमी लाइन का काम वन विभाग की मंजूरी के बगैर शुरु कर दिया था. जिससे उसे परियोजना का 1 प्रतिशत जुर्माना किया गया है.
याद दिला दें कि अमरावती का चिखलदरा का चर्चित स्कॉयवॉक प्रकल्प वनविभाग की मंजूरी के कारण दो वर्षों से अटका है. जबकि वहां के पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए यह महत्वपूर्ण प्रकल्प है. इससे चिखलदरा पर्यटन में राष्ट्रीय नक्शे पर चर्चित होना है.

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