अपर वर्धा बांध के इतिहास का फलक लगाया जायेगा
सिंचाई महर्षि डॉ.शंकरराव चव्हाण को अभिवादन
अमरावती/प्रतिनिधि दि.14 – राज्य के सिंचाई क्षेत्र के विकास के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.शंकरराव चव्हाण ने अपनी दूरदृष्टि रखते हुए अनेक महत्वपूर्ण प्रकल्प स्थापित किये. अमरावती जिले के लिए जीवनदायी व विकास की जीवनरेखा साबित होने वाले अपर वर्धा बांध निर्मिति में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान है. यह बांध नहीं बनता तो सूखे का सामना करना पड सकता था, लेकिन उनकी विकासात्मक दुरदृष्टि से ही अपर वर्धा बांध का निर्माण हो पाया है. इसलिए अपर वर्धा प्रकल्प निर्मिति का इतिहास बताने वाले फलक को स्थापित किया जाएगा, इस आशय का प्रतिपादन जलसंपदा राज्यमंत्री ओमप्रकाश उर्फ बच्चू कडू ने व्यक्त किया. सिंचाई महर्षि व आधुनिक जल संस्कृति के जनक पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.शंकरराव चव्हाण के 101वीं जयंति निमित्त अभिवादन कार्यक्रम का आयोजन सिंचाई भवन में किया गया था. इस अवसर पर पुष्पा बोंडे, डॉ.विजय बोंडे, मुख्य अभियंता अ.ना.बहादुरे, विशेष प्रकल्प की मुख्यअभियंता अ.ल.पाठक, अधिक्षक अभियंता रश्मी देशमुख, सहित विभाग के अभियंता व कर्मचारी मौजूद थे.
राज्यमंत्री कडू ने कहा कि जिले में साल 1965 में अपर वर्धा बांध निर्मिति का जोरदार विरोध किया गया था. अनेक आंदोलन भी किये गए, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण ने विरोधकों को दरकिनार करत हुए बांध निर्मिति की दिशा में कदम बढाया. बांध निर्मिति के लिए जगह की जरुरत थी. इसलिए भविष्य में होने वाले फायदे और सर्वांगिन विकास को देखते हुए प्रकल्प स्थापित किया. इस प्रकल्प की निर्मिति से किसानों को सिंचाई के लिए, एमआईडीसी क्षेत्र में उद्योग हेतू व जिलावासियों को पर्याप्त जल का लाभ मिला है. स्वर्गीय चव्हाण ने यदि यह साहस नहीं दिखाया होता तो सूखे का सामना करना पउ सकता था. अपर वर्धा बांध निर्मिति के दरमियान घटीत विविध प्रसंगों का कथन पुष्पा बोंडे ने अपने मनोगत से किया. इस समय मुख्य अभियंता बहादुरे व पठक ने भी विभाग के योगदानों की जानकारी दी.