महिला आयोग, ‘विशाखा’ समिति से न्याय की उम्मीद नहीं
‘जस्टीस फॉर दीपाली’ समुह के सदस्यों की राय
अमरावती/प्रतिनिधि दि. 13 – महिला आयोग, विशाखा समिति की ओर से अब महिलाओं को न्याय मिलेगा ही इसकी खात्री नहीं देते आयेगी. क्योंकि ऐसे आयोग और समितियों का अध्यक्ष पद यह कानूनी ज्ञान, महिलाओं की समस्याओं का ऐहसास रहने वालों को नहीं बल्कि राजनीतिक आशिर्वाद से मिलता है. ऐसे में उनकी ओर से न्याय की अपेक्षा कैसे करना, इस तरह के स्पष्ट विचार ‘जस्टीस फॉर दीपाली’ समुह की अरुणा सबाने, एड.रेखा बारहाते, प्रज्वला तट्टे आदि ने व्यक्त की.
हरिसारल स्थित वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण की आत्महत्या के बाद कुल मिलाकर नौकरी करने वाली महिलाओं की अनेक समस्या समाने आयी है. इस पृष्ठभूमि पर ‘जस्टीस फॉर दीपाली’ समुह की सदस्याओं का कहना रहा कि एक महिला अधिकारी की आत्महत्या से फिर एक बार पुरुषों की मानसिकता, पुरुषी अहंकार सामने आया है. हाल के दिनों में महिला आयोग के कुल कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह उपस्थित किये जाते है. आयोग के पास जाने पर भी महिला को न्याय मिलेगा ही इसकी कोई गारंटी नहीं. जहां अध्यक्ष पद के निकष ही योग्य नहीं है वहां न्याय की अपेक्षा कैसे करना? महिला स्वतंत्र हुई है, उनका निर्णय लेने के लिए वह अब सक्षम है, लेकिन आज भी पुरुषों को लगता है कि महिलाओं ने उन्हें पूछना चाहिए फिर वह कार्यालय की सहकारी अथवा वरिष्ठ रहे, नहीं तो घर के पुरुष, पुरुषी मानसिकता को थोडा भी धक्का लगा तो उन्हें वह सहन नहीं होता. मनुस्मृति में विवाह से पहले पिता, विवाह के बाद पति और बुढापे में लडकोें के छत्रछाया में रहना सिखाया गया है. यहीं मनुस्मृति आज भी जिंदा रहने की बात इस घटना ने दिखा दी है. दीपाली पश्चिम महाराष्ट्र की और विदर्भ में नौकरी की जगह उसने आत्महत्या की. जिस जिले में उसने आत्महत्या की, वहां चार-चार जनप्रतिनिधि है. बावजूद इसके उसे न्याय न मिलना, आत्महत्या का मार्ग स्वीकारना पडा है, यह खेदपूर्ण बात है. इन घटनाओं की पुर्नरावृत्ति टालनी हो तो विशाखा समिति, महिला आयोग, को राजनीतिक घेरे से बाहर निकलना चाहिए, इस तरह के विचार ‘जस्टीस फॉर दीपाली’ समुह की ओर से अरुणा सबाने, एड.रेखा बारहाते, प्रज्वला तट्टे आदि ने रखे.
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रेड्डी को गिरफ्तार करना ही चाहिए
इस मामले में निलंबित क्षेत्र संचालक श्रीनिवास रेड्डी यह भी निलंबित उपवन संरक्षक शिवकुमार की तरह ही दोषी है. जिससे जब तक उन्हें सह आरोपी कर सजा नहीं होता तब तक पुरुषों पर अंकुश नहीं लगेगा. जिससे रेड्डी को गिरफ्तार करना ही चाहिए.
– अरूणा सबाने
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महिलाओं को मजबूत बनना होगा
दीपाली चव्हाण की आत्महत्या का बुरा भी लगता है और गुस्सा भी आता है. दीपाली ने उसके स्तर पर सभी आवश्यक प्रयास किये, फिर भी अनेकों मार्ग थे, जिससे वह स्वयं को छुडा सकती थी फिर भी इस घटना से एक ही लगता है कि अब हमें हमारी लडकियों मानसिक, शारीरिक स्तर पर मजबूत बनाना होगा.
– एड.रेखा बारहाते