* महिला सक्षमीकरण की दिशा में सबसे बड़ा कदम
अमरावती/दि.19– नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा नई संसद में पहला ही विधेयक नारीशक्ति का सम्मान करने वाला प्रस्तुत कर रही है. कैबिनेट की सोमवार शाम की बैठक में इस पर सहमति और निर्णय के समाचार ने आधी आबादी को प्रसन्न कर दिया है. लगभग सभी दलों की महिला नेत्रियों ने इसका जोरदार स्वागत किया है. कांग्रेस नेत्री ने कहा कि उनकी पार्टी सदैव महिला आरक्षण के पक्ष में रही है. भाजपा नेत्री ने कहा कि मोदी है तो मुमकिन है. महिला सक्षमीकरण के लिए बहुत बड़ा कदम है. विधेयक पारित होने पर लोकसभा तथा विधानसभा में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएगी. महाराष्ट्र में 95 महिला विधायक निर्वाचित हो सकेगी. ऐसे ही लोकसभा की 180 सीट महिलाओं के लिए रहेगी. इसे प्रायः सभी महिलाओं ने स्वागत योग्य बताया है.
विधेयक मंजूर होना समय की मांग
शहर कांग्रेस महिला अध्यक्ष प्रा. डॉ. अंजली ठाकरे ने कहा कि केवल राजकीय आरक्षण देने से महिलाओं का विकास का मार्ग प्रशस्त नहीं होगा. उसके साथ ही आर्थिक, सामाजिक सभी दृष्टि से उनका सक्षमीकरण एवं उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने महिला विधेयक स्वीकृत होना समय की मांग है. यह विधेयक मंजूर करने सभी दल एकत्रित हुए हैं. बिल के लिए सतत सर्वपक्षीय मांग को ध्यान में रखकर संसद के नए सभागार में इसे स्वीकार किया जा रहा है, यह बड़ी आनंद की बात है. इसी से भारत के सशक्त समाज की दिशा प्राप्त हो सकेगी. ऐसा मुझे मन ही मन लगता है. कांग्रेस पार्टी महिला आरक्षण के लिए सदैव कटिबद्ध रही है. 2010 में यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी की पहल से बिल लाया गया था.
मोदी सरकार का ऐतिहासिक निर्णय
भाजपा महाराष्ट्र प्रदेश निमंत्रित सदस्य तथा पूर्व मिनी महापौर सुरेखा दिगंबर लुंगारे ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के विधेयक को मोदी सरकार का ऐतिहासिक निर्णय बताया. उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने अनेक ऐतिहासिक अवसर दिए हैं. उसी कड़ी में महिला आरक्षण का संविधान संशोधन का विधेयक भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. मोदी है तो मुमकिन है. देखा जाए तो 33 नहीं 50 प्रतिशत आरक्षण होना चाहिए. फिर भी महिलाओं के लिए यह अत्यंत आनंद के क्षण है. मोदी के राज में महिलाओं को सुरक्षित महसूस हुआ है. उनके साथ कोई घटना भी होती है तो न्याय तीव्र गति से प्राप्त हो रहा है. बहरहाल महिला आरक्षण से विधानसभा और लोकसभा में नारी शक्ति की हित की बात प्रखरता से होगी. निश्चित ही महिला वर्ग राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में अधिक अवसर का अधिकारी है. आरक्षण व्यवस्था लागू होने से उसे वह प्राप्त होगा. अभी तो विधानसभा में 43 विधायक और लोकसभा में 78 महिला सांसद हैं. जिसकी संख्या लगभग 100 और 200 हो जाएगी.