अमरावतीमुख्य समाचार

60 हजार मरीजों की रक्तपूर्ति

जनसंख्या की तुलना में आज भी अमरावती अव्वल

* विश्व स्वैच्छिक रक्तदाता दिवस
अमरावती/दि.14- अंबानगरी गत तीन दशकों से रक्तदाताओं की नगरी के रुप में पूरे महाराष्ट्र में जानी जाती है. राज्यस्तर के अनेक अवार्ड अंबानगरी के रक्तदाताओं की बदौलत इसे प्राप्त हो चुके हैं. यहां हजारों स्वैच्छिक रक्तदाता हैं. जो नियमित रुप से रक्तदान करते हैं. यहां मोटे तौर पर एक शासकीय, एक निमशासकीय और दो निजी रक्तपेढ़ी है. परतवाड़ा में भी एक रक्तपेढ़ी संचालित है. तथापि अमरावती शहर में मोटे तौर पर 36 हजार यूनिट रक्त संकलित किया जाता है. रक्त के घटक मिलाकर करीब 60 हजार रुग्णों को रक्त की आपूर्ति हो रही है. जिला सामान्य अस्पताल की रक्तपेढ़ी में गत वर्ष 9798 यूनिट रक्त संकलन किया गया. जबकि पंजाबराव देशमुख मेडिकल कॉलेज अस्पताल की रक्तपेढ़ी में 14 हजार से अधिक यूनिट रक्त संकलन के साथ अधिकांश मरीजों को यहीं से खून अथवा खून का घटक उपलब्ध करवाया गया. अमरावती के लोगों के लिए शान की बात है कि जनसंख्या की तुलना में अमरावती रक्तदान में अग्रणी बना हुआ है.आज 14 जून को विश्व स्वैच्छिक रक्तदाता दिवस मनाया जाता है. गौरव की बात है कि अमरावती में शतायुषी रक्तदाताओं की भी संख्या है और नियमित ब्लड देने वालों की तादाद हजारों में है. अकेले रक्तदान समिति वर्ष के 230-250 शिविर आयोजित करती आयी है.
* इन लोगों को पड़ती है जरुरत
रक्त की आवश्यकता सड़क अथवा अन्य हादसे में गंभीर रुप से घायल के अलावा गर्भवती महिलाओं को पड़ती है. उसी प्रकार थैलेसिमिया, हिमोफिलिया, सिकलसेल के मरीजों को भी रक्त की कई बार आवश्यकता होती है. इर्विन रक्तपेढ़ी के प्रमुख डॉ. आशीष वाघमारे ने बताया कि पिछले वर्ष 2022 में 9798 यूनिट रक्त संकलित हुआ. जिसमें से थैलेसिमिया मरीजों को 650, सिकलसेल मरीजों को 416 और हिमोफिलिया के रुग्णों को 121 यूनिट रक्त दिया गया.

फोटो- संदीपभाऊ के पास
हजारों के जीवन दाताओं की रक्तदान समिति
प्रसिद्ध गीत मधुबन खुशबू देता है…. को अपना घोषवाक्य बनाकर पिछले अनेक दशकों से अंबानगरी में रक्तदान का श्रेष्ठ कार्य कर रही रक्तदान समिति ने हजारों रुग्णों को नया जीवन दिया है. समिति में कुल 28 सदस्य ही हैं. मगर प्रत्येक सदस्य अपने आपमें एक संस्था के बराबर योगदान कर रहा है. फलस्वरुप रक्तदान की कभी कमी इस शहर में नहीं पड़ती. बल्कि भूतकाल में अनेक पास पड़ोस के शहरों से लेकर मुंबई तक यहां से स्वैच्छिक रक्तदाता भेजे गए. जिन्होंने खुशी-खुशी अपनी बांह पर सुई चुभवाई और खून देकर किसी को नया जीवन देने का प्रयत्न किया है. समिति पदाधिकारियों में महेंद्र भूतड़ा, जय हेमराजानी, किसनगोपाल सादानी, प्रा. संजय कुलकर्णी, प्राचार्य डॉ. अरविंद देशमुख, मोहन लढ्ढा, अजय दातेराव, प्रमोद शर्मा, पवन नयन जायस्वाल,श्याम शर्मा, डॉ. घनश्याम बाहेती, प्रा. राजेश पांडे, राकेश ठाकुर, उमेश पाटणकर, संजय हरवाणी, हरी पुरवार, युसूफ बारामतीवाला,शैलेष चौरसिया, सुनील अग्रवाल, संदीप खेडकर, निशाद जोध, सीमेश श्रॉफ, रीतेश व्यास, जस्सी नंदा, हीतेश केडिया, निखिल बाहेती, संदीप गुप्ता का समावेश है. बेशक नेतृत्व अमरावती के रक्तदान शिरोमणी और हजारों लोगों को रक्तदान हेतु प्रेरित करने वाले महेंद्र भूतड़ा स्वयं कर रहे हैं. समिति की महिला सदस्याएं भी यथोचित योगदान करती आयी हैं. नगर के अनेक आयोजनों में समिति का साथ-सहयोग रहता आया है. कोरोना महामारी दौरान समिति ने भरपूर सहकार्य किया.

भूतड़ा, लढ्ढा, दातेराव, शर्मा शतायुषी रक्तदाता
विश्व ऐच्छिक रक्तदाता दिवस मनाने का हक अंबानगरी शान से रख सकती है. यहां सैकड़ों रक्तदाता हैं जो कम से कम 50 बार खून दे चुके हैं. ऐसे ही समाज के सभी आयु वर्ग और विविध क्षेत्र के लोग यहां कहने भर पर बांह पर सुई चुभोने तैयार रहते हैं. समिति के अध्यक्ष महेंद्र भूतड़ा 217 बार, अजय दातेराव 147, प्रमोद शर्मा 151 और मोहन लढ्ढा 110 बार रक्तदान कर चुके हैं. चारों ही शतायुषी रक्तदाता अलग-अलग देह यष्टि के हैं. उसी प्रकार का उनका दृढ़ मत है कि नियमित रक्तदान से फीट रहने में सहायता मिलती है.

Related Articles

Back to top button