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सांगोला में दशानन रावण की पूजा

छोटे से गांव में अनेक दशकों की परंपरा

* खुदाई में मिली थी प्रतिमा
अकोला/दि.6 – जिले के पातुर तहसील अंतर्गत सांगोला गांव में दशहरें पर परंपरा के अनुसार रावण की दस मुखवाली प्रतिमा का पूजनार्चन किया गया. बुजुर्ग नागरिकों ने बताया कि, गांव से सटे एक बडे बरगद के पेड की खुदाई में रावण की विशाल प्रतिमा मिली थी. उसी समय से विजया दशमी पर जहां अन्यत्र दशानन को जलाया जाता है. वहीं सांगोला में उनका पूजन किया जाता है.
* 700 लोगों की बस्ती
सांगोला में रावण की मूर्ति पूजा का अनन्य साधारण महत्व है. पूरे राज्य में यह गांव रावण पूजा के लिए विख्यात है. बमुश्किल 700 लोगों की आबादी वाले सांगोला में उत्तर दिशा की तरफ खुली जगह में रावण की विशाल प्रतिमा है. यह प्रतिमा एक खुदाई के समय मिली थी.
* कोई नहीं हिला सका
गांव के बडे बुजुर्ग बताते है कि, बरगद के पेड के नीचे खुदाई करते समय मूर्ति दिखाई दी. उसे किसी तरह बाहर निकाला. फिर उसे अन्यत्र हटाने का बडा प्रयास किया गया. मगर सफलता नहीं मिली. रावण की प्रतिमा को फिर उसी जगह स्थापित करने का निर्णय वरिष्ठों ने किया. यहां नित्य रुप से पूजा होती है. कल दशहरें पर सांगोला में मेला भरा था. आस-पडौस के अनेक गांवों के लोग दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. दैनंदिन पूजा का कार्य हरिभाउ नखाडे नित्य नियम से कर रहे है.

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