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जिले में जगह-जगह पूजे गये ‘सर्जा-राजा’

  • सभी किसानों ने अपने घरों पर हर्षोल्लास के साथ मनाया बैल पोला

  • बैल जोडियों का हुआ विधि-विधानपूर्वक पूजन, घी-पूरणपोली का नैवेद्य भी चढा

अमरावती/प्रतिनिधि दि.१८ – अमरावती शहर सहित जिले के सभी तहसील व ग्रामीण इलाकों में मंगलवार १८ अगस्त को किसान परिवारों द्वारा बैल पोला का पर्व बडे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस पर्व के उपलक्ष्य में सभी किसानों ने अपनी-अपनी बैलजोडियों को नहलाने-धुलाने के साथ ही अपने सबसे भरोसेमंद साथियों को आकर्षक साजश्रृंगार करते हुए सजाया और उनका विधिविधानपूर्वक पूजन करने के साथ ही उन्हें घी व पूरणपोलीस का नैवेद्य अर्पित किया. बता दें कि, बैलों को किसानों का सबसे सच्चा व भरोसेमंद साथी माना जाता है और खेती-किसानी से संबंधित कामों में बैल ही किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते है. खरीफ के मौसम में बुआई संबंधी कामकाज निपटने के बाद सभी किसान अपने इन्हीं भरोसेमंद साथियों को पोला के पर्व पर आभार ज्ञापित करते है और बैलों का पूजन करते हुए उनके श्रम का सम्मान करते है. प्रतिवर्ष पोले का पर्व गांव-गांव में सार्वजनिक व सामूहिक तौर पर पोले का पर्व बडे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और ग्रामीण क्षेत्रों में पोले के पर्व की जबर्दस्त धुम दिखाई देती है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण का खतरा मंडराता रहने की वजह से प्रशासन द्वारा जिले में कही पर भी सार्वजनिक पोला उत्सव मनाने की अनुमति नहीं दी गई. जिसके चलते सभी किसानों ने अपने-अपने घरों पर ही अपनी बैलजोडियों का पूजन करते हुए पोले का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया.

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सर्वधर्म समभाव का प्रतिक हैं पोला यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, यूं तो पोला पर्व को एक हिंदूधर्मीय त्यौहार माना जाता है, लेकिन ग्रामीण अंचलों में रहनेवाले मुस्लिम किसान भी इस पर्व को बडी धुमधाम के साथ मनाते है और अपने-अपने बैलों को सजाने के साथ ही उनकी पूजा करते हुए उन्हें पूरणपोली व घी का नैवेद्य खिलाते है. साथ ही बेहद हर्षोल्लास के साथ गांव के प्रांगण में लगनेवाले पोला में अपनी बैलजोडियों को लेकर उपस्थित होते है और पोला छूटने के बाद ग्राम देवता के मंदिर की प्रदक्षिणा करने के बाद अपने घर लौटते है. जिसके चलते पोला पर्व पर सर्वधर्म समभाव का नजारा दिखाई देता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, पोले का पर्व कोई धार्मिक नहीं, बल्कि श्रम का सम्मान करनेवाला एक ऐसा पर्व है, जिसमें सभी धर्मों व वर्गों के लोग शामिल होते है.

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