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युवा व्यवसायी ललित जीवतानी ने आत्महत्या की

  • हेमा और सायरा का ध्यान रखना, मुझको माफ करना

  • संस्कृति शो रूम के संचालक,

परतवाड़ा/अचलपुर दि. २० – स्थानीय मेन रोड स्थित कपड़ा व्यवसायी संस्कृति शो रूम के प्रबंध संचालक और प्रतिष्ठित नागरिक अशोक मिरचुमल जीवतानी के छोटे पुत्र लक्ष्य उर्फ ललित अशोक जीवतानी  ने आज सुबह आत्महत्या कर ली.स्थानीय टिंबर डिपो रोड पर जीवतानी परिवार निवास करता है.प्रत्यक्षदर्शियों के बताए अनुसार 26 वर्षीय ललित देर रात लगभग 2 से 2.30 बजे के अंदाज में अपने घर से यह कहकर निकले कि वो किसी काम से बाहरगाव आकोला जा रहे.उन्होंने अपनी बाइक निकाली और टिंबर डिपो रोड स्थित गणेश मंदिर पहुंचे.वहां मंदिर के भीतर,चप्पल उतार कर जाने के बाद उन्होंने अपने बैग में से रस्सी निकाल कर फंदा बनाया और फांसी लेकर आत्महत्या कर ली.आज शनिवार की सुबह प्रातः साढ़े पांच-छह के बीच जॉगिंग और रनिंग के लिए जाते युवकों व लोगो मे से किसी ने उनका शव मंदिर के मुख्य द्वार पर झूलते देखा.कुछ ही मिनटों में मंदिर का पुजारी शिव महाराज भी वहां पहुंचा.पुजारी ने पुलिस को इसकी सूचना दी.
परतवाड़ा पुलिस ने इस संदर्भ में आकस्मिक मृत्यु (मर्ग)दाखिल कर शव को पोस्टमार्टम के लिए उपजिला अस्पताल भिजवाया.जिन लोगो ने  सुबह ललित के शव को मंदिर पर देखा उनके बताए अनुसार ललित के जेब मे से एक नोट का बंडल, मोबाइल और मृत्यपूर्व उनके हाथों लिखा दो पन्नो का बयान पुलिस ने बरामद किया.घटना का कारण अज्ञात है.सुसाइड नोट में क्या लिखा है यह अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया. ललित को एक 6 माह का शिशु भी है.उनकी ससुराल तुमसर की बताई जाती.बमुश्किल अभी साल-दो साल पूर्व उसका विवाह हुआ था.ललित खुद और उनका परिवार आर्थिक रूप से काफी संपन्न बताये जाते.घर मे रुपयों-पैसों की कोई कमी नही थी.मृतक ललित काफी अंतर्मुखी स्वभाव का था.उसके यार-दोस्त अत्यंत ही कम बताये जाते.अपने कपड़ा शो रूम से घर यही उसकी दिनचर्या बताई जाती.युवा कपड़ा व्यवसायी के इस तरह आत्मघाती कदम उठाने से पूरा जुड़वाशहर स्तब्ध है.आत्महत्या को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं भी सुनने को मिल रही.जो युवक आज अलसुबह गणेश मंदिर परिसर में खड़े थे उन्होंने बताया कि ललित काफी अच्छे कपड़े पहनकर मंदिर में पहुंचा था.उसके शव को देखकर यह नही लग रहा था कि वो अब इस दुनिया मे नही रहा.उसे किसी प्रकार का व्यसन वगैराह भी नही बताया जा रहा.पारिवारिक कलह के चलते उसके हताश होने की बात ज्यादा सुनने को मिलती रही.
युवा कपड़ा व्यवसायी के इस तरह चले जाने से शहर में शोक की लहर है.ऑल ट्रेडर्स असोसिएशन, परतवाड़ा-अचलपुर कपड़ा व्यापारी संघ की और से ललित के निधन पर उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की गई.उनके पिता अशोक जीवतानी इस गणेश मंदिर के बिल्कुल ही निकट खापरकुंडी में रोजाना सुबह योगा करने आते है.वो बालाजी योगा ग्रुप के सदस्य है.आज सुबह उनके योगा ग्राउंड पर भी लेट पहुंचने की खबर है.उन्हें भी योगा मैदान पर ही इस हादसे की सूचना मिली.बालाजी योगा ग्रुप के मनोज वड़तकर अपनी बाइक पर अशोक को लेकर मंदिर परिसर में पहुंचे तब तक पुलिस भी वहां पहुंच चुकी थी.पीछे पीछे योगेश गायकवाड़, सुमित राठौड़, राजू अग्रवाल और समाजसेवी जयकुमार धर्मा भी गणेश मंदिर पहुंचे.मंदिर के चैनल गेट को रस्सी बांध खुद को ललित ने फांसी लगा ली थी.चैनल गेट पर उनका शव लटक रहा था.एक पिता के लिए इससे बड़ा  अत्यंत ही ह्रदयविदारक, दर्दनाक, वेदनादायी हादसा क्या हो सकता.जयकुमार धर्मा ने ललित के सुसाइड नोट को पढ़ा भी.पुलिस को प्राप्त मृत्यु पूर्व स्वीकृति में ललित ने लिखा है कि वो पिछले तीन माह से ऊर्जा, उमंग और खुशी के साथ जीवन जीने की कोशिश कर रहे थे.लेकिन नकारात्मकता उनका पीछा नहीं छोड़ रही थी.उन्होंने पॉजिटिव बनने की काफी कोशिश की.किंतु सफल नही हो पाये. वो अपनी स्वयं इच्छा से यह कृत्य कर रहा है.उन्होंने अपने पूरे परिजनो से इसके लिए माफी मांगते हुए यह भी लिखा कि मुझे रुपयों-पैसों की कोई कमी नही रही और ना ही मेरे ऊपर कोई कर्जा है.अपने माता-पिता को उन्होंने पत्नी हेमा और 6 माह की पुत्री सायरा का ध्यान रखने की प्रार्थना भी पत्र में की. ललित ने आत्महत्या के लिए किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया है.बालाजी योगा ग्रुप के सभी सदस्य सुबह ही जीवतानी के निवास पर पहुंचे और उन्हें ढाढस बंधाया.अशोक भाऊ को हिम्मत और संयम रखने का अनुरोध किया.ब्रम्हानंद नचवानी, राजू अग्रवाल, ए. बी चंदनानी, आशीष वर्मा,राजू ढोबले, राजू शेट्टे, दर्शन ज्योति,अजय अग्रवाल, किसन शर्मा, माणिक लुल्ला,जसवंत रेवलानी आदि द्वारा बालाजी ग्राउंड पर ही मौन रख ललित को श्रद्धांजलि दी गई.रमेश मिरचुमल और अशोक ऐसे दो भाइयों का यह परिवार.गणेशनगर सिंधी कैम्प में इनका पुश्तैनी घर है.फिलहाल अशोक जीवतानी यह ब्राम्हण सभा मे निवास कर रहे.
 ललित का पार्थिव यह उपजिला अस्पताल से शव विच्छेदन के बाद उनके परिजनों को सौपा गया.पूरे परिवार और परिसर में ऐसा कोई भी नही होंगा, जिसकी आंख में आज आंसू नही थे.ये कुदरत की लीला भी अजीब होती.’भरी बरसात में भी शादाब बेले सुख जाती है,हरे पेड़ो के गिरने का कोई मौसम नही होता…’! हरदिल अजीज ललित का अंतिम संस्कार आज शाम 5 बजे स्थानीय हिन्दू श्मशान भूमि में किया गया.शुभचिंतको और मित्रों ने अपनी शोक संवेदना प्रगट की और शोकाकुल परिवार को हौसला रखने को कहा.दो दिन से अचलपुर तहसील में बेमौसम बारिश और गाज गिर रही है.आज एक कुठाराघात हुआ,गाज भी गिरी,सैलाब आ गया..सिर्फ अशोक जीवतानी और उनकी पत्नी ने उनका पुत्र नही खोया..परतवाड़ा शहर ने एक बेटा खो दिया.ईश्वर उसकी आत्मा को शांति प्रदान करे.आमीन.

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