युवा भजनकार पंकु भोजवानी का अकस्मात निधन
सुरीली-मीठी यादों का दर्द देकर दोस्तो को अलविदा कहा
-
सिंधी समाज में ‘लाडा’ के लिए था परिचित
-
एक माह पूर्व हुई थी सगाई
-
18 सितंबर को लगातार दी भजनों की प्रस्तुति
परतवाड़ा/अचलपुर/प्रतिनिधि दि.23-
भरी बरसात में भी शादाब बेलें सूख जाती हैं,
हरे पेड़ों के गिरने का कोई मौसम नहीं होता.
कल बुधवार 22 सितंबर को दोपहर तक वो दवाखाने में भी सभी से बतिया रहा था. अपने बड़े भाई अजय से उसने कहा कि मैं एक-दो दिन में अस्पताल से डिस्चार्ज हो जाता हूँ, उसके बाद हम दीपावली सीजन के लिए कपड़ो की खरीदी को साथ चलेंगे. दोपहर में करीब तीन बजे का यह वाकया था. अमरावतीं के अस्पताल में भर्ती पंकु ने इसके बाद किसी से भी बात नही की और इस फानी दुनिया को छोड़ वो चिर अनंत की यात्रा पर निकल गया. अपने पीछे वो एक बड़ा शून्य छोड़ गया. जितने भी लोग उसे जानते थे, किसी को भी अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था. हर कोई उसकी नम्रता और मित्रता के किस्से और उसके साथ बिताए पलो को दूसरों के साथ शेयर कर खुद के दुख को कम करने की कोशिश में लगा हुआ था.
स्थानीय गुरुनानक नगर निवासी 27 वर्षीय होनहार युवक पंकु उर्फ पंकज जसवंत (बबलू) भोजवानी का कल शाम साढ़े पांच-छह बजे के दरमियान अमरावतीं के एक अस्पताल में निधन हो गया. परतवाड़ा के मेन रोड पर स्थित चुन्नू-मुन्नू ड्रेसेस के मालिक जसवंत (बबलू) के छोटे पुत्र, स्व. चिमनदास (चिमन सेठ रातरानी होटलवाले) के पोते और ट्रक मालिक स्व. हेमंत सेठ के भतीजे पंकु के निधन की खबर लगते ही उसके परिचित व शुभचिन्तक स्तब्ध रह गए.
सहसा किसी को इस बात पर यकीन ही नहीं हो रहा था. प्रस्तुत प्रतिनिधि कल बुधवार को नगर पालिका मुख्यालय में अन्य लोगो के साथ चर्चा में मशगूल था, तब ही प्रहार के विजय थावानी ने आकर बताया कि पंकु को अमरावती लेकर गए हैं. 21 तारीख तक स्थानीय सिविल लाइन के एक अस्पताल में उसका इलाज किया जा रहा था. ब्लडप्रेशर लगातार कम होने के बाद उसे अचलपुर रोड पर एक अन्य चिकित्सक के पास ले जाया गया. अमरावती जाने से पूर्व उसका बीपी 110 तक आ चुका था. विधाता की चकरी से कल दोपहर डोर काट दी गई और एक युवा संत अनंत में विलीन हो गया.
-
सिंधी समाज का तहसील में एकमात्र भजन गायक
एक व्यापारी परिवार में जन्मा पंकु मानों साक्षात ईश्वर के प्रसाद के रूप में ही इस धरती पर आया था. अचलपुर, चिखलदरा, धारणी, मध्यप्रदेश के बैतूल जिले तक भी वो भजन करने के लिए निशुल्क अपनी सेवाएं व समय देता था. उसका भजन गायन प्रोफेशनली कभी नहीं रहा. अपनी बाल्यावस्था से ही कुदरत ने उसे सुरों से नवाज रखा था. अनेक वरिष्ठ नागरिकों ने उसे बचपन में गदर फिल्म का, ‘उड़ जा काले कागा तेरा…’ यह गीत गुनगुनाते हुए देखा-सुना है. वो अपने पापा के साथ चुन्नू-मुन्नू दुकान पर ईमानदारी से ड्यूटी जरूर देता था, किंतु उसका पूरा तन-मन भजन, अध्यात्म, प्रवचन, कीर्तन में ही रमा हुआ रहता था. परतवाड़ा-अचलपुर को ऐसा कोई भी भजन मंडल नहीं होगा, जहां पर उसने अपनी प्रस्तुति न दी हो. शिवशक्ति धाम मंदिर, शिव गणेश मंदिर इन दो जगहों पर क्रमशः प्रातःकाल और संध्या की संगीतमय आरती करने का कार्य पंकु पूरी लगन और श्रध्दा से करता रहा. इसके अलावा तिलक चौक भजन मंडल, श्याम मित्र परिवार, पंचमुखी भजन मंडल, जय हनुमान भजन मंडल, सीतलामाता भजन मंडल, संकटमोचन भजन मंडल आदि का वो सम्मानीय सदस्य था. प्रत्येक शनिवार को जुड़वा शहर के हर हनुमान मंदिर में मत्था टेकने को जाना उसकी दिनचर्या में शामिल था. साथ ही अवघड़बाबा हनुमानजी पर जाकर एकांत में सुंदरकांड का पठन करना उसे बहुत भाता था. वो पूरी तरह से निर्व्यसनी था और व्यापारी होने के बाद भी व्यापार से कोसो दूर रहा. उसके नित्यकर्म में अखाड़े व जिम में जाना भी शामिल रहा. अभी एक माह पूर्व उसकी सगाई हुई. किंतु छतीसगढ़ के भाटापारा में जन्मी एक प्रेम कहानी को वो अधूरी छोड़ रुखसत हो गया. इस वर्ष गणेशोत्सव के दौरान स्थानीय शिव गणेश मंडल में उसने रोजाना आरती प्रस्तुत करने का कार्य किया. वो ढोलकी बजाने में निपुण हो गया था. सिंधी समुदाय में उसे लाडा गाने के लिए बुलाया जाता था. पंद्रह दिन पूर्व वो मोर्शी में भजनों की प्रस्तुति देकर लौटा था. व्यक्तिगत तौर पर पंकु यह मांगल्य म्यूजिक ग्रुप से जुड़ा हुआ था.
-
पंकु के लोकप्रिय भजन
रसिक बाबा पागल का स्वरबध्द किया ‘तेरी गलियों का हूँ आशिक, तू एक नगीना है’ इस भजन को वो बहुत ही उम्दा तरीके से गाता रहा. इसके अलावा शिर्डी वाले साई बाबा, आया हूँ तेरे दर पे…, मैं बालक तू माता शेरावालिये…, हे दुखभंजन, मारुति नंदन, सुन लो मेरी पुकार… आदि भजन गाते समय उसे खासी वाहवाही मिलती थी. इसके अलावा वो अपने समाज मे लाडा के लिए सभी का चहेता था.
-
दुश्मन विहीन व्यक्तिमत्व
पंकज इस दुनिया मे आया एक संत की तरह और गया भी किसी संत की ही तरह. विशेष उल्लेखनीय यह कि उसकी शहर भर में किसी से भी कोई दुश्मनी नही थी. अचलपुर परतवाड़ा की सभी भजन मंडलियों में वो जाता था. सभी से उसका मेलमिलाप था. वो जहां भी जाता, वहीं एक पारिवारिक रिश्ता बना लेता था. मिलनसार व्यक्तित्व का धनी और बहुत ही कम उम्र में वो भजनकार बन गया था. एक ऐसा भजन गायक जिसे नाममात्र भी धन की लालसा नही थी.
-
18 सितंबर की शानदार याद शेष रही
19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी होने से गणपति विसर्जन किये जाने थे. 18 को पंकु का खास दिन शनिवार भी था. तब तक किसी बीमारी का दूर दूर तक कोई पता नही था. 18 तारीख को दोपहर में उसने परतवाड़ा के मिश्रा चौक स्थित श्री गणेश मंडल में भजनों की प्रस्तुति दी. वो अपनी भजन मंडली के साथ शाम तक वहां पर भजन गाता रहा. शाम के बाद उनका दूसरा कार्यक्रम गुरुनानक नगर में था. यहां पर पंकु और उसके ग्रुप ने सुंदरकांड का पठन किया. 18 को देर रात बारह बजे तक आध्यात्मिक स्वरों की यह गंगा अबाधित प्रवाहित होती रही. 19 तारीख को उसे दवाखाने जाना पड़ा. एक दोस्त ने उसे फ़ोन कर बताया कि, हमे 20 सितंबर की भजन करने एक जगह जाना है. तब पंकज ने हँसते हुए जवाब दिया कि मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. तुम लोग भजन कर लेना. इसके बाद भी वो कल बुधवार की दोपहर तक दोस्तो से बात करता ही रहा था.
-
‘मोटी भाभी’ को छोड़ गया उसका लाल
कल जिसने भी सुना दंग रह गया. मां आरतीदेवी (मोटी भाभी) और पिता जसवंत (बबलू) के आंसू रोके नहीं रुक रहे थे. पूरे गांव के दु:ख-दर्द में शामिल होकर लोगो को हिम्मत देने का काम जसवंत भोजवानी खुद करते रहे. वो बोले, आज मैं हार गया,ऊपरवाले ने ये क्या कर दिया. फफक के रो पड़ी आरती भाभी, जब उसने चिरनिद्रा में सोए अपने लाल को देखा. बड़े भाई अजय और बहन निकिता को छोड़ उनका लाडला पंकू लौट गया.
यह पहला मौका था, जब गुरुनानक नगर में जुड़वा शहर के हर कोने का भजनप्रेमी खड़ा नजर आया. कल बुधवार की रात में करीब 500 युवक और प्रौढ़ लोगो की भीड़ पंकु के घर के सामने खड़ी रही. हरेक के पास पंकज की एक अलग कहानी थी. कल देर रात में शहर के भजन गायकों ने गुरुनानक नगर के ही शिवशक्ति धाम में पांच भजन गाकर अपने प्रिय मित्र की अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी. अंकूश जवंजाल, पुरण चौधरी, कल्पेश शर्मा, नरेंद्र शर्मा, मुन्ना नंदवंशी, रोहित पांडे, शैलेश ठाकुर, चंदू चौरसिया आदि सभी उसके खास मित्र रातभर उपस्थित रहे.
-
शोकाकुल माहौल में हुई अंतिम विदाई
आज सुबह 11 बजे पंकज की अंतिम यात्रा निकाली गई. जिसमें बड़ी संख्या में लोगो ने शिरकत करते हुए अपनी शोक संवेदना प्रकट की. इस समय भारतीय जनता पार्टी के अचलपुर अध्यक्ष अभय माथने, चेतना मंडल के अनिल तायड़े, शिव गणेश मंडल से ओमप्रकाश दीक्षित, हनुमान व्यायाम मंडल के मनोज नंदवंशी, पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत, सिंधी युवा मंच, शिवसेना, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, बालाजी कुटिया संस्थान आदि की ओर से पुण्यात्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. साथ ही सभी ने कोरोना महामारी का ध्यान रखते हुए सुरक्षित दूरी का पालन किया और मास्क लगाकर ही सभी लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए. अचलपुर रोड स्थित हिन्दू श्मशान भूमि में पंकज के पार्थिव पर अग्निसंस्कार किया गया. नम और सजल नेत्रों से लोगो ने स्नेही पंकज को बिदाई दी. मृत्य अटल है, जो आया है, वो जायेगा भी. क्या राजा, क्या रंक और क्या फ़क़ीर. जिंदगी की पिच पर ट्वेंटी-ट्वेंटी खेलकर अपनी बैटिंग का धुंआधार प्रदर्शन करके पंकज अंततः ईश्वरीय पवेलियन में लौट गया. चिट्ठी न कोई संदेश,जाने वो कौनसा देश, जहां तुम चले गए. अब सिर्फ स्मृति शेष रहेंगी.
किसी शायर ने क्या खूब कहा है कि,
बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रूत ही बदल गई,
एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया.