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मई माह में हो सकते हैं जिप व पंस के चुनाव

ओबीसी आरक्षण के चलते 3 साल से चुनाव अधर में लटके

* तीन साल से सभी निकायों में चल रहा प्रशासक राज
* स्थानीय जनप्रतिनिधि नहीं रहने से नागरिकों के कामकाज प्रभावित
अमरावती /दि.5- सर्वोच्च न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण को लेकर याचिका प्रलंबित रहने के चलते स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव विगत तीन वर्षों से अधर में लटके पडे है और विगत तीन वर्षों से महानगरपालिका, जिला परिषद, नगरपालिका व नगरपंचायतों सहित पंचायत समितियों मेें प्रशासक राज चल रहा है. ऐसे में स्थानीय निकायों में जनता के बीच से चुने गये स्थानीय जनप्रतिनिधियों के नहीं रहने की वजह से आम नागरिकों से संबंधित काम बुरी तरह प्रभावित हो रहे है. जिसके चलते सभी स्थानीय स्वायत्त निकायों के आम चुनाव जल्द से जल्द होने की उम्मीद जतायी जा रही है. इस बीच अब यह संभावना बनती दिखाई दे रही है कि, जिप सहित सभी पंचायत समितियों के चुनाव आगामी मई माह के दौरान हो सकते है. जिसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्रभाग सहित गट व गण निश्चिति की तैयारियां शुरु कर दी गई.
बता दें कि, अमरावती मनपा में 8 मार्च 2022 तथा अमरावती जिप सहित 11 पंचायत समितियों में 20 मार्च 2022 से प्रशासक राज चल रहा है. वहीं तिवसा, नांदगांव खंडेश्वर व चांदूर रेल्वे पंचायत समितियों का कार्यकाल 13 दिसंबर 2024 को खत्म हुआ और 14 दिसंबर से इन तीनों पंचायत समितियों में भी प्रशासक की नियुक्ति की गई. इस दौरान इन तीन पंचायत समितियों को छोडकर अमरावती जिला परिषद के सर्कल सहित अन्य पंचायत समितियों के गणों हेतु वर्ष 2022 में ही निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन व आरक्षण की निश्चिति करते हुए इसकी जानकारी प्रकाशित की गई थी. जिस पर आपत्तियों व आक्षेप की सुनवाई विभागीय आयुक्त द्वारा की गई थी. परंतु अंतिम प्रभाग रचना व आरक्षण को घोषित करने से पहले ही सरकार द्वारा इस प्रक्रिया को स्थगिति दे दी गई थी. इसके उपरान्त ओबीसी आरक्षण व वृद्धिंगत सदस्य संख्या को लेकर अदालत में सुनवाई शुरु हुई. जिसके चलते तब से लेकर अब तक स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव अधर में लटके हुए है.
हालांकि अब आगामी 25 फरवरी को इस मामले की अंतिम सुनवाई है. जिसमें अदालत द्वारा कोई फैसला दिये जाने पर सरकार द्वारा राज्य की सभी जिला परिषदों व पंचायत समितियों के चुनाव को लेकर प्रभाग रचना व आरक्षण के साथ ही मतदाता सूची का काम शुरु किया जाएगा. यदि ये सभी काम आगामी दो माह के भीतर पूरे होते है, तो मई माह के दौरान एक ही समय पर राज्य के सभी स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव कराये जा सकते है. ऐसे में अब सभी की निगाहें आगामी 25 फरवरी को होने वाली सुनवाई की ओर लगी हुई है. क्योंकि यदि मई माह तक चुनाव नहीं हुए, तो आगे जून माह से मानसून यानि बारिश का सीजन शुरु हो जाएगा और फिर चुनाव कराने में बारिश की वजह से होने वाली दिक्कतों के चलते अक्तूबर माह तक चुनाव आगे टल जाएंगे. ऐसे में चुनाव लडने के इच्छुकों द्वारा मई माह तक ही चुनाव होने की कामना की जा रही है, ताकि वे अपनी तैयारियों को पूरा कर सके.

* कई बार निराश हो चुके है इच्छुक
उल्लेखनीय है कि, विगत 3 वर्ष के दौरान कई बार स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव होने की संभावना बनी. जिसके चलते चुनाव लडने के इच्छुकों द्वारा अपने जनसंपर्क का काम शुरु करते हुए तैयारियां करनी शुरु की गई. लेकिन आगे चलकर यह सभी तैयारियां उस समय धरी की धरी रह गई. जब चुनाव होने की संभावना ही खारिज हो गई. बता दें कि, इन तीन वर्षों के दौरान चुनाव होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए पर्व एवं त्यौहारों के समय चुनाव लडने के इच्छुक उम्मीदवारों द्वारा अपना जनसंपर्क बढाने के साथ ही मतदाताओं से प्रत्यक्ष मुलाकात करते हुए दुर्गोत्सव व गणेशोत्सव जैसे मौकों पर अपना हाथ खुला छोडते हुए अपनी जेबों को भी जमकर ढिला किया गया. जिसके तहत बैनर व फ्लैक्स के जरिए शुभकामनाएं देने हेतु अच्छा खासा पैसा खर्च किया गया. लेकिन हर बार चुनाव के आगे टल जाने की वजह से तमाम तैयारियां धरी की धरी रह गई और पूरा पैसा व्यर्थ में ही खर्च हो गया. इससे चुनाव लडने के इच्छुक भी तंग आ चुके है और अब वे भी यह चाहते है कि, एक बार के लिए चुनाव हो ही जाये, ताकि बार-बार तैयारियां करने की झंझट से मुक्ति मिले.

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