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मिट्टी के दीप युध्द स्तर पर किये जा रहे तैयार

गहरे गह्ने में पैरों से कुचलकर तैयार की जाती है मिट्टी

  • महीन किचड तैयार होने के बाद मुलायम मिट्टी से बनती है वस्तु

  • कुंभार अपने परिवार के साथ दीपावली के दीप तैयार करने में व्यस्त

अजय काकडे/दि. २८ परतवाडा– दीपावली के त्यौहार पर मिट्टी से तैयार किये गए दीप का काफी महत्व माना जाता है. कोई भी वस्तु बनाने से पहले कुंभार व्दारा एक बडे गह्ने में मिट्टी को पैरों से रौंधकर किचड तैयार किया जाता है. उस किचड को छानने के बाद महीन व मुलायम मिट्टी तैयार की जाती है. इसके बाद चाक पर मिट्टी के पींड रखकर उसको आकार दिया जाता है.
इस समय कुंभार अपने पूरे परिवार के साथ दीपावली के लिए दीप बनाने की प्रक्रिया में दिनरात जुटे है. इस बारे में एक कुंभार से लिये गए साक्षात्कार में उन्होंने विस्तृत जानकारी दी. हमारे प्रतिनिधि ने सावली दातुरा के वार्ड क्रमांक २ में रहने वाले कुंभार देविदास चुन्नीलाल बरदिया से मिट्टी व्दारा तैयार की जाने वाली वस्तुओं के बारे में विस्तृत जानकारी ली. देविदास ने बताया कि मिट्टी की वस्तु निर्माण करने के लिए उनकी पत्नी गंगा, चार बेटियां, एक पुत्र और माता, पिता भी सहयोग करते है. उन्होंने बताया कि मिट्टी की वस्तु बनाने के लिए खास मिट्टी का चयन कर लाया जाता है. उसके बाद घर के आंगन में चार से पांच फीट गहरा गह्ना खोदकर उसमें काली मिट्टी डालकर पानी छोडा जाता है. इसके बाद मिट्टी को पैरों से रौंधकर उसका किचड तैयार करते है फिर एक जाली के माध्यम से मिट्टी को छानकर कंकर, पत्थर रहित किया जाता है. पूरी तरह से महिन व मुलायम मिट्टी तैयार होने के बाद वस्तु तैयार करने के लिए मिट्टी तैयार हो जाती है. देविदास बरदिया ने आगे यह भी बताया कि मिट्टी छानने के बाद भी उसे पैरों से अच्छी तरह से मसला जाता है. मिट्टी में बारिकीसे इस बात का ध्यान रखा जाता है कि उस मिट्टी में किसी भी तरह का कचरा, पत्थर, नुकिली चीज तो नहीं है. अगर ऐसी कोई वस्तु मिलती है तो उसे मिट्टी से अलग कर मिट्टी को qपड का आकार देकर अलग किया जाता है. पहले हाथ से चलाए जाने वाले चाक पर मिट्टी को आकार दिया जाता था. मगर युग बदल जाने के बाद अब इलेक्ट्रानिक चाक पर मिट्टी का पिंड रखकर कुंभार जो आकार चाहता है उस आकार में वस्तु को तैयार करता है. इसी तरह इन दिनों देविदास बरदिया अपने पूरे परिवार के साथ दीपावली में लगने वाले छोटे मटके और दीप बनाने के लिए रातदिन मेहनत कर रहे है. चाक पर दिप तैयार होने के बाद उन्हें सुखाया जाता है और फिर आग की भट्टी में पककर दीप तैयार होते है, इसके पश्चात उन्हें सुंदर रंगरोगन करने के बाद बाजार में बेचने के लिए उपलब्ध कराये जाते है, इस तरह कडी मेहनत के बाद हमें सुंदर सुंदर दिखने वाले दीप व मिट्टी निर्मित अन्य वस्तुएं मिलती है.

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