विदर्भ में और दो बाघों का शिकार
नए वर्ष में भी घटनाक्रम जारी, 22 दिनों में 11 की मौत

नागपुर /दि. 23– राज्य में बाघों की मृत्यु का सिलसिला जारी ही है. बुधवार को फिर से 2 बाघों की मौत हो गई. वर्धा जिले के समुद्रपुर वनपरिक्षेत्र अंतर्गत समुद्रपुर-गिरड महामार्ग पर धोंडगांव के पास वाहन की टक्कर में चार माह के मादा शावक की मृत्यु हो गई. पेंच व्याघ्र प्रकल्प में नागलवाडी में भी और एक बाघ की मृत्यु होने की घटना सामने आई है.
राज्य में नववर्ष के पहले 22 दिनों में 11 बाघों की मृत्यु हुई है. इसमें के दो बाघ का शिकार हुआ है और दो शावकों की भूखमरी से मृत्यु हुई है. दो बाघों की मृत्यु संदेहास्पद है और दो बाघ रेलवे और सडक दुर्घटना में मृत हुए है. इसमें की अनेक मृत्यु यह वनक्षेत्र के बाहर है. बाघ के शिकार का खतरा इस मृत्यु के कारण सामने आया है, लेकिन वनक्षेत्र के बाहर के व्यवस्थापन में वन विभाग कमजोर पडता दिखाई दे रहा है.
* प्रत्यक्ष काम करना कम हुआ
वन विभाग में वन्यजीव संवर्धन के नाम पर तकनीकी क्षमता पर जोर दिया जा रहा है. प्रत्यक्ष काम करना कम हुआ है. विभाग तकनीकी दृष्टि से सक्षम रहना आवश्यक है. लेकिन इससे वन्यजीव संवर्धन नहीं होता. क्षेत्रीय काम पर जोर चाहिए.
– किशोर मिश्रीकोटकर, सेवानिवृत्त विभागीय वन अधिकारी.
* बाघ के कॉरिडोर सुरक्षा का मुद्दा महत्वपूर्ण
बाघ के कॉरिडोर की सुरक्षा, यह मुद्दा अनदेखा है. प्रकल्प और अन्य कारणों से कॉरिडोर का जाल टूट रहा है. शमन उपाययोजना की तरफ होनेवाली अनदेखी भी महत्वपूर्ण मुद्दा है.
– मिलिंद परिवक्कम, रोडकिल्स इंडिया सिटीजन सायंस कैंपेन





