अकोला में नीट की तैयारी कर रहे दो छात्रों ने दी जान
एक ही दिन में दोहरी त्रासदी से कोचिंग हब बना शहर हुआ स्तब्ध

अकोला/दि.12 – शिक्षा के क्षेत्र में गलाकाट प्रतिस्पर्धा और सुनहरे भविष्य के सपनों का दबाव एक बार फिर जानलेवा साबित हुआ. अकोला में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा नीट की तैयारी कर रहे दो होनहार छात्रों ने एक ही दिन अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. इस हृदय विदारक घटना से पूरे शहर में सनसनी फैल गई है और अभिभावकों व छात्रों के बीच चिंता की लहर दौड़ गई है. मृतकों की पहचान पार्थ गणेश नेमाडे (17) और अर्णव नागेश देबाजे (18) के रूप में हुई है. पुलिस ने आकस्मिक मृत्यु का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, हालांकि आत्महत्या के कारणों का अभी खुलासा नहीं हो सका है.
जानकारी के अनुसार, तेल्हारा तहसील के रायखेड निवासी पार्थ गणेश नेमाडे अकोला स्थित न्यू अकादमी में नीट की कोचिंग ले रहा था. वहीं, अर्णव नागेश देबाजे अकोला के ही मोठी उमरी इलाके का रहने वाला था. दोनों ही छात्र मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सफलता पाने के लिए दिन-रात एक किए हुए थे. एक ही दिन दो छात्रों द्वारा उठाए गए इस आत्मघाती कदम ने न केवल उनके परिवारों को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि कोचिंग संस्थानों और शिक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. पुलिस दोनों छात्रों के दोस्तों, परिजनों और कोचिंग सेंटर के लोगों से पूछताछ कर आत्महत्या के पीछे के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रही है.
* बढ़ते दबाव का जानलेवा परिणाम
यह कोई पहली घटना नहीं है जब छात्रों ने परीक्षा के दबाव या अपेक्षित परिणाम न मिलने के डर से ऐसा जानलेवा कदम उठाया हो. हाल ही में 12 वीं की परीक्षा के नतीजे आने के बाद भी ऐसी घटनाएं सामने आई थीं. विशेषज्ञों का मानना है कि आजकल छात्रों पर बेहतर प्रदर्शन करने का अत्यधिक दबाव रहता है. अभिभावकों की उम्मीदें, सामाजिक प्रतिष्ठा और साथियों के बीच आगे निकलने की होड़ उन्हें गहरे मानसिक तनाव में धकेल देती है.
* यवतमाल और जलगांव में भी हुई थीं ऐसी घटनाएं
इससे पहले यवतमाल जिले के दिग्रस में भी नीट का पेपर कठिन आने के कारण लकी सुनील चव्हाण (19) नामक छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. लकी नांदेड में कोचिंग ले रहा था और पेपर बिगड़ने के बाद से वह गहरे सदमे में था. उसके चाचा मंगल चव्हाण ने पुलिस को बताया था कि पेपर संतोषजनक न होने से वह बेहद निराश था. इसी प्रकार, जलगांव जिले के ममूराबाद गांव में 12 वीं बोर्ड परीक्षा में उम्मीद से कम अंक आने पर ऋषिकेश दिनेशचंद्र पाटिल ने भी अपने घर में फांसी लगाकर जान दे दी थी. लगातार सामने आ रही इन घटनाओं ने समाज को यह सोचने पर विवश कर दिया है कि आखिर शिक्षा का यह कैसा दबाव है जो हमारे नौनिहालों की जान ले रहा है. मनोचिकित्सकों का कहना है कि छात्रों को असफलता से लड़ने के लिए मानसिक रूप से मजबूत बनाना और उन पर अनावश्यक दबाव न डालना समय की सबसे बड़ी जरूरत है. प्रशासन और शिक्षण संस्थानों को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके.





