पंढरपुर वारी की दिंडी में सेवानिवृत्त कर्मियों की अनोखी सेवा
नाश्ता, भोजन के साथ दबा देते हैं पैर भी

* 21 दिनों की वारी में वरिष्ठजनों की सराहना
मांजरखेड / दि.2– स्थानीय श्री संत चंदाजी महाराज की कुर्हा से पंढरपुर पायदल दिंडी हर साल भाष्कर पिंपले महाराज के नेतृत्व में निकाली जाती है. इस साल दिंडी का 245 वां वर्ष हैं. यह दिंडी 21 दिनों में सव्वा 600 किमी का अंतर तय करनेवाली राज्य में सबसे तेज गती से चलनेवाली दिंडी के नाम से सुपरिचित है. इस साल दिंडी में 180 वारकरियों का समावेश है तथा 65 ज्येष्ठ नागरिक भी इस दिंडी में शामील है. इस दिंडी की विशेषत: यानी दिंडी में शामिल ज्येष्ठ सेवानिवृत्त कर्मचारियों की उर्जा चर्चा का विषय है.
वर्ष 2007 से इस दिंडी में विनायकराव दखने सुरत के कपडा व्यवसायी वारी करने लगे तब से दिंडी की रौनक बढ गई. उन्होंने वारकरियों के लिए गाडी की सुविधा उपलब्ध करवाए जाने पर उनके कांधों का वजन कम हो गया. साथ ही उन्होंने जरूरतमंदों को साडियां, कपडे, चप्पल, औषधी, फराल आदि उपलब्ध करवाया, दिंडी में पैदल चल रहे भाविकों को दखने वाहन सुविधा उपलब्ध करवा रहे है. वहीं विनायक दात्रे (भोपाल) , मधुकर कोठेकर (अहमदाबाद), सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रमोद रोकडे, प्रकाश मिसाल (आर्वी), सुरेश सरोदे, सेवानिवृत्त वैद्यकीय अधिकारी डॉ. दिनेश ढोरे, रवी नाकाडे, किशोर बकाले आदि सेवानिवृत्त कर्मचारी सेवा दे रहे है.
* युवाओं की स्फूर्ति लाजवाब
दिंडी में मांजरखेड और किन्ही रोकडे ग्राम के युवाओं का बडी संख्या में सहभाग रहता है. 35 युवक, वरिष्ठ व्यक्तियों के साथ सेवा में पिछे नहीं रहते. तडके 3.30 बजे से रात्री 9 बजे तक सतत क्रियाशील रहकर वारकरियों के लिए अल्पोहार, भोजन, पडाव के स्थान पर सुविधाएं जुटाना युवाओं की जवाबदारी रहती है. सचिन खोंडे व हरिश रोकडे संपूर्ण वारी दौरान शीतल आरओ पेयजल उपलब्ध कराते हैं.
* दिंडी में उर्जावान चिकित्सक भी
चंदाजी महाराज संस्थान दिंडी में अहमदाबाद के 83 वर्षीय प्रभाकर पारवे डॉक्टर के रूप में सभी के परिचित है. पारवे पहले बाबा अमरनाथ और वैष्णवदेवी जाते थे. अचानक 2007 से कुर्हा- पंढरपुर दिंडी के सदस्य बन गए. 18 वर्षों से वे वारकरियों की पूरे मनोयोग से सेवा कर रहे हैं. किसी गांव में दिंडी के पहुंचते ही सभी की तत्परता से मरहम पट्टी करना, ग्लूकोज, छोटी बीमारियों पर दवाईया देना, यह सभी कार्य वे करते हैं. सभी दवाईयों का खर्च वे स्वयं वहन करते हैं.





