कल दोपहर तक मुंबई खाली करें

बंबई उच्च न्यायालय का सरकार को आदेश

* मराठा आरक्षण आंदोलन
* मनोज जरांगे और पवार को आगे आंदोलन की अनुमति नहीं
मुंबई /दि.1- छपते-छपते मिली खबर के अनुसार बंबई उच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण आंदोलक मनोज जरांगे और वीरेंद्र पवार को आगे आंदोलन की अनुमति नहीं रहने का निर्देश दिया है. कानून सम्मत प्रावधानों के अनुसार सरकार को कदम उठाने कहा गया है. हाईकोर्ट ने कल मंगलवार 2 सितंबर की शाम 4 बजे तक मुंबई की सडके खाली कर देने का आदेश देने के साथ आजाद मैदान छोडकर अन्य सभी जगह खाली करने के निर्देश भी दे दिए.
मनोज जरांगे का मराठा आरक्षण हेतु अनशन का आज चौथा दिन है. आंदोलन के विरोध में दायर अर्जी पर हाईकोर्ट ने तात्कालिक रुप से सुनवाई की. सुनवाई दौरान हाईकोर्ट में जोरदार बहस-मुबाहिसा होने का समाचार है. उच्च न्यायालय ने यहां तक कह दिया कि, आंदोलन सरकार के हाथ बाहर चला गया है. इस मामले में याचिका पर कल 2 सितंबर को दोपहर 3 बजे पुन: सुनवाई होगी. सरकार को कोर्ट के आदेशों के क्रियान्वयन के बारे में बताना पडेगा. सीएसएमटी, मरीन ड्राइव, फ्लोरा फाउंटेन और दक्षिण मुंबई के अन्य भागों से आंदोलनकारियों को हटा देने के आदेश सरकार को दिए गए. कोर्ट में सरकार का पक्ष महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने रखा.
सराफ ने कोर्ट को बताया कि, गणेशोत्सव दौरान कानून और व्यवस्था संभालना पुलिस के लिए कठिन हो रखा है. शनिवार और रविवार को आंदोलन की अनुमति नहीं दी गई थी. सामंजस्य रखने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि कानून और व्यवस्था न बिगडे. केवल 5 हजार आंदोलक की अनुमति दी गई थी. कोर्ट में याचिकाकर्ता ने सरकार की परमिशन पर भी आक्षेप उठाए. शासन की ओर से एड. सराफ ने कहा कि, जिन्होंने आंदोलन की अनुमति मांगी, उनकी भी कुछ जिम्मेदारी होती है. जरांगे पाटिल ने 5 हजार लोग और 500 वाहन रहने की बात कही थी. कोर्ट में जरांगे पाटिल का आवेदन पढकर सुनाया गया. सरकार ने कोर्ट में काफी फोटोो भी दिखाए. महिला पत्रकारों के साथ आंदोलकों द्वारा किए गए व्यवहार की भी जानकारी कोर्ट में दी गई. कई शालाओं ने खुद होकर छुट्टी घोषित कर दी है. एक दिव्यांग छात्र को 5 घंटे ट्रैफिक जाम में फंसे रहने के बाद घर लौटना पडा. समाचार लिखे जाने तक कोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से जोरदार दलिले दी जा रही थी.

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