वेदांश का सुझाव बेहतरीन, लेकिन अमल करना मुश्किल
राकांपा के युवा नेता यश खोडके ने रेलवे उडानपुल की राह में रहनेवाली दिक्कतों की मीमांसा की

* हर हाल में तीन साल तक शहर की यातायात व्यवस्था के यथावत रहने की जताई मजबूरी
अमरावती/दि.10 – अमरावती शहर के बीचोबीच स्थित रेलवे उडानपुल को अचानक बंद कर दिए जाने के चलते आम शहरवासियों को हो रही दिक्कतों के मद्देनजर शहर के युवा इंजीनियर वेदांश नीलेश खंडेलवाल ने स्थानीय प्रशासन सहित सभी मौजूदा व पूर्व जनप्रतिनिधियों के सामने अपनी तरह का एक अनूठा प्रस्ताव पेश किया है. जिसे सुनकर अजीत पवार गुट वाली राकांपा के युवा नेता यश खोडके यद्यपि काफी हद तक प्रभावित हुए और उन्होंने इस प्रस्ताव को वैचारिक स्तर पर काफी बेहतरीन बताया. लेकिन यश खोडके के मुताबिक हकीकत में इस प्रस्ताव पर अमल करना और इसे मुर्तरुप देते हुए साकार करना काफी टेढी खीर वाला मामला है. क्योंकि वेदांश खंडेलवाल ने अपने प्रस्ताव में जिन-जिन जमीनों को उपयोग में लाए जाने का सुझाव दिया है, वे सभी जमीने अलग-अलग विभागों से वास्ता रखती है और अलग-अलग सरकारी महकमों से वास्ता रखनेवाली जमीनों का हस्तांतरण कोई आसान काम नहीं है.
इसके साथ ही राकांपा के युवा नेता यश खोडके ने यह भी कहा कि, अमरावती के मौजूदा रेलवे स्टेशन पर विगत कुछ वर्षों के दौरान तमाम मूलभूत सुविधाओं का विकास किया गया है और अब भी इस रेलवे स्टेशन पर अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम चल ही रहा है. ऐसे में पूरे रेलवे स्टेशन को ही बंद कर उसे यहां से 700-800 मीटर आगे नए सिरे से बनाने में काफी वक्त व पैसा खर्च होगा. इतने रुपयों में तो इतने ही समय के भीतर नया रेलवे ओवरब्रिज ही बनकर तैयार हो सकता है. इसके अलावा यश खोडके ने यह भी कहा कि, वेदांश खंडेलवाल द्वारा अपने प्रस्ताव में राजापेठ पुलिस स्टेशन व पुराने जकात नाका के पीछे खाली पडी रहनेवाली जिस जमीन को उपयोग में लाने का सुझाव दिया गया है, वह जमीन जिलाधीश कार्यालय द्वारा किसी समय महानगर पालिका व पुलिस विभाग को आवंटित की गई थी और वहां पर जलापूर्ति हेतु पानी की टंकी तथा महावितरण का विद्युत सबस्टेशन बनना प्रस्तावित है. इसी तरह मौजूदा रेलवे स्टेशन वाली जगह केंद्र सरकार एवं केंद्रीय रेलवे मंत्रालय व रेलवे बोर्ड की संपत्ति है. जो अमुमन किसी अन्य विभाग को हस्तांतरित ही नहीं होती. इसी तरह राज्य सरकार के अख्तियार में रहनेवाली जमीनों को भी केंद्र सरकार के सुपूर्द लगभग नहीं किया जाता. ऐसे में भले ही वेदांश खंडेलवाल ने इन तमाम पेंचोखम से अनजान रहते हुए रेलवे स्टेशन एवं रेलवे पटरी के आसपास खाली पडी जमीनों को देखकर सरसरी तौर पर एक शानदार प्रस्ताव तैयार किया है, परंतु कई तरह की तकनीकी दिक्कतों व बाधाओं को देखते हुए इस प्रस्ताव पर अमल करना अथवा इसे साकार करना उतना ही मुश्किल व लगभग असंभव काम है.
इसके साथ ही यश खोडके ने यह भी कहा कि, यदि एक बार के लिए यह भी मान लिया जाता है कि, वेदांश खंडेलवाल के प्रस्ताव पर अमल किया जा सकता है, तो भी रेलवे उडानपुल बंद रहने के चलते यातायात की पर्यायी व वैकल्पिक व्यवस्था को अगले दो-तीन साल तक यथावत ही बनाए रखना होगा. हालांकि, वेदांश खंडेलवाल के प्रस्ताव पर हकीकत में अमल करना मुश्किल है. ऐसे में मौजूदा रेलवे उडानपुल को आंशिक अथवा पूर्णत: तोडकर उसके स्थान पर नया रेलवे उडानपुल बनाने ने भी लगभग इतना ही समय लगनेवाला है, तो उस सूरत में भी यातायात की मौजूदा व्यवस्था अगले दो-तीन साल तक ऐसे ही रहेगी. इस समय यश खोडके ने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि, विगत 24-25 अगस्त की रात रेलवे उडानपुल को अचानक ही बंद किए जाने के बाद अगले दो-तीन दिनों तक शहर में कुछ हद तक ट्रैफिक जाम वाली स्थिति रही. लेकिन अब धीरे-धीरे यातायात की स्थिति में सुधार हो गया है तथा लोगों ने मौजूदा हालात को स्वीकार करते हुए यह मान लिया है कि, यह स्थिति अगले दो-तीन साल तक ऐसे ही रहेगी. ऐसे में यातायात को लेकर हालात धीरे-धीरे सामान्य होते जा रहे है.
इन सबके साथ ही यश खोडके ने रेलवे उडानपुल को लेकर अपनी सोच जाहीर करते हुए यह भी कहा कि, उनके मुताबिक रेलवे उडानपुल को पूरी तरह से तोडकर उसे पूरी तरह नए सिरे से बनाना काफी हद तक अव्यवहारिक कदम साबित होगा. इसकी बजाए रेलवे पटरियों के उपर से होकर गुजरनेवाले रेलवे पुल के हिस्से को तोडकर वहां पर ‘प्री-फैब्रिकेटेड ब्लॉक्स’ को जोडते हुए रेलवे उडानपुल को मजबूती प्रदान की जा सकती है. यश खोडके के मुताबिक अगर रेलवे उडानपुल को पूरी तरह से तोडकर उसके स्थान पर नया ओवरब्रिज बनाया जाता है, तो इसमें सार्वजनिक लोक निर्माण, नझूल, मनपा व रेलवे के बीच जमीन को लेकर काफी हद तक विवाद वाली स्थिति पैदा हो सकती है. साथ ही चूंकि इस रेलवे ओवरब्रिज के दोनों ओर रिहायशी एरिया सहित व्यापारिक क्षेत्र भी है और उडानपुल के दोनों ओर काम करने हेतु काफी कम जगह है. ऐसे में इसे पूरी तरह तोडकर नए सिरे से बनाना काफी हद तक अव्यवहारिक होगा. अत: जितना ढांचा भराव वाला है, उसे जस का तक रखते हुए बीच के हिस्से को ‘प्री-फैब्रिकेटेड ब्लॉक्स’ के साथ जोडना ज्यादा सुविधाजनक व व्यवहारिक रहेगा.





