सात उपज माल के वायदाबंदी को १ साल की समयावृद्धि
आर्थिक संकट से घिरे किसान, कपास, सोयाबीन की दरों में गिरावट

नागपुर /दि. २४– केंद्र सरकार ने महंगाई कम करने का हवाला देते हुए तेलबीज, खाद्यतेल और दालवर्गीय फसलों के दर नियंत्रण में लाने के लिए पहले ‘स्टॉक लिमिट’ शस्त्र का उपयोग किया. इतनाही नहीं तो सेबी ने २१ दिसंबर २०२१ को तेलबीज, दालवर्गीय फसलों सहित गेहूं और चावल के फ्युचर मार्केट के वायद्यों पर बंदी लाई. २० दिसंबर २०२२ को यह बंदी समाप्त होने से पूर्व ही एक साल की समयावृद्धि दे दी. जिसके कारण स कृषि माल के २२ दिसंबर २०२३ तक वायदे बंद रहेंगे. खाद्यतेल उत्पादक लॉबी का दबाव और केंद्र सरकार की सूचना के अनुसार ‘सेबी’ (सेक्युरिटीज एन्ड एक्सचेंज ऑफ इंडिया) ने कुल आठ उपज माल के वायद्यों पर पाबंदी लगाई. इनमें से सात उपजमाल के वायदाबंदी को एक साल की समयावृद्धी दी गई है. तथा कपास पर वायदाबंदी अस्थायी व अनिश्चितकालीन है. इसलिए इन सभी कृषिमाल के दर दबाव में आने से किसान आर्थिक संकट से घिरे है. वायदे बंद रहने से उपज माल का दर दबाव में आए है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन और सरसों के दर बढ़ रहे है. सोयाबीन को ५ हजार तथा सरसों को ५५०० रुपए प्रति क्विंटल दर मिल रहा है. वायदे शुरु रहते तो किसानों को वर्तमान के दर से अधिक न्यूनतम ५०० से ९०० रुपए ज्यादा मिल रहे होते यह जानकारी बाजारविशेषज्ञों ने दी.
* कपास, सोयाबीन की दरों में गिरावट
वायदेबंदी के कारण व्यापारी और किसानों को उपजमाल की भविष्य की संदर्भ कींमतों के बारे में जानकारी नहीं मिलती. निवेश रुकने से व्यापारियों ने बढ़ते दर से खरीदी करना रोक दिया. भारत में सोया ढेप के दर कम रहने पर उसके मुताबिक निर्यात नहीं होती. इसलिए किसानों को सोयाबीन ६ जार रुपए के बजाय पांच हजार रुपए दर से तथा कपास ९ हजार रुपए के बजाय ८ हजार रुपए प्रति क्विंटल से बेचना पड़ रहा है. वर्तमान में सरकी को अच्छे दाम मिलने से कपास की कीमतें टिकी है.
* इन उपज का समावेश
केंद्र सरकार की सूचना के अनुसार सेबी ने वायदेबंदी किए उपज माल में सोयाबीन, सोयातेल व सोया ढेप, सरसों, सरसो तेल, व सरसो ढेप, गेहूं, चावल (बासमती छोडकर) चना, मूंग, और कच्चे पामतेल इन उपज माल का समावेश है. कपास के वायद्यों पर सेबी ने अस्थायी तौर पर पाबंदी लगाई है. तुअर पर वायदेबंदी आठ साल से कायम है.