विदर्भ

कोरोना का इलाज करवाने के बाद 10 लोगों को हुआ म्यूकोरमाइकोसिस

चंद्रपुर में मचा हड़कंप!

चंद्रपुर/दि. 10 – महाराष्ट्र के चंद्रपुर में कोविड के इलाज के बाद रविवार को 10 लोग म्यूकोरमाइकोसिस के शिकार पाए गए. इन सारे मरीजों का इलाज शहर के अलग-अलग अस्पतालों में हो रहा है. जिला स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कोविड के इलाज के दौरान लिक्विड ऑक्सीजन के इस्तेमाल से फंगस पनपने की गुंजाइश बनती है, जिससे मरीज म्यूकोरमाइकोसिस के शिकार हो जाते हैं. जिनके शरीर में इम्यूनिटी अच्छी होती है, उन्हें आमतौर पर यह नहीं होता है. लेकिन कम इम्यूनिटी वालों को म्यूकोरमाइकोसिस होने का खतरा ज्यादा होता है. कोविड के इलाज के बाद जब ये मरीज अपने घर गए तो लगभग इन सभी को एक जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ा. इनके नाक से लगातार पानी आ रहा था. सर दर्द कर रहा था. इन्होंने तुरंत डॉक्टरों को इस बारे में सूचित किया. डॉक्टरों ने जांच करने के बाद पाया कि इन्हें म्यूकोरमाइकोसिस हुआ है. इन दसों मरीजों का अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है. देर होने से पहले ही डॉक्टरों से संपर्क किए जाने की वजह से इनकी सेहत में सुधार है.

  • उत्तर महाराष्ट्र और विदर्भ में तेजी से फैल रहा म्यूकोरमाइकोसिस

उत्तर महाराष्ट्र और विदर्भ क्षेत्र में म्यूकोरमाइकोसिस के कई मरीज सामने आए हैं. इस बीमारी का इलाज भी बहुत महंगा होता है. म्यूकोरमाइकोसिस एक तरह का फंगल इन्फेक्शन है. यह फंगल इन्फेक्शन नाक और आंख से ऊपर की ओर बढ़ता है और दिमाग तक पहुंच जाता है. इन्फेक्शन के ब्रेन तक पहुंचते ही मरीज की हालत गंभीर हो जाती है. कोरोना के पहले फेज में यह बीमारी लोगों को हुई या नहीं इसका तो पता नहीं चल पाया है, लेकिन कोरोना की सेकंड वेव में यह मामले अधिक हो रहे हैं. पहले यह फंगल इन्फेक्शन साइनस में होता है. इसके 2-4 दिनों के भीतर यह आंखों तक पहुंचता है और इसके एक दिन के अंदर यह ब्रेन तक पहुंच जाता है. इन्फेक्शन जब ब्रेन में पहुंच जाता है तो आंख निकालना मजबूरी हो जाता है. अगर सही समय पर मरीज की आंख न निकाली जाए तो उसकी जान भी जा सकती है.

  • किन लोगों को है म्यूकोरमाइकोसिस का खतरा

कमजोर इम्युनिटी वालों को यह फंगल इन्फेक्शन सबसे पहले अपनी चपेट में लेता है.. म्यूकोरमाइकोसिस अक्सर ऐसे कोरोना संक्रमित मरीजों को होता है जो मधुमेह से ग्रसित हैं या जिनके लीवर में भी कोई परेशानी है. मधुमेह (Diabetes) की बीमारी से ग्रसित रोगियों में कोरोना होने पर स्टेरॉयड का बेज़ा इस्तेमाल कोरोना की बीमारी से निजात तो दिला देता है, लेकिन ब्लैक फंगस यानि कि म्यूकोरमाइकोसिस नाम की बीमारी की चपेट में धकेल देता है. कोरोना से पीड़ित रोगियों को ह्यूमीडिफाइड (Humidified) ऑक्सीजन पर रखा जाता है जो फंगस के ग्रोथ में महत्वपूर्ण वजह बनता है.

  • म्यूकोरमाइकोसिस के लक्षण क्या हैं?

कोविड खत्म होने पर भी ऐसे मरीजों में चेहरे में दर्द, सूजन, सिरदर्द, साइनस, आंखों में दर्द और रौशनी की कमी के साथ-साथ मुंह के उपरी हिस्से में काले धब्बे जैसे लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं. अगर किसी मरीज को यह हो जाता है तो उसे सिर में लगातार असहनीय दर्द होगा. आंख लाल रहेगी. दर्द के कारण आंखों से पानी गिरता रहेगा. इसके साथ ही आंख में मूवमेंट भी होना बंद हो जाता है. इस ब्लैक फंगस की चपेट में आने की वजह से 20 से 30 फीसदी मरीजों में आंख की रौशनी चली जाती है.

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