चंद्रपुर/दि.2 – बाघो को बचाने के लिए सरकार द्वारा प्रयास किए जा रहे है. फिर भी पिछले वर्ष 105 बाघों की मौत की जानकारी सामने आयी है. जिसमें बाघो की राजधानी के नाम से विख्यात मध्यप्रदेश में सर्वाधिक बाघों की मौत हुई तथा महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है. 61 फीसदी बाघोे की मौत प्रकल्प व अति संरक्षित क्षेत्रों में हुई है यह चिंता का विषय है. देश में 2018 में व्याघ्र गणना के सर्वे में भारत में बाघो की संख्या बढने की जानकारी सामने आयी थी. जिसमें 2 हजार 967 बाघों का पंजीयन किया गया था. यह संख्या विश्वभर की कुल बाघों की संख्या के प्रमाण में 75 फीसदी है.
जिसकी वजह से व्याघ्र संवर्धन के कामों को सफलता प्राप्त हुई है. किंतु 2020 में 105 बाघो की मौत हुई यह अधिकृत जानकारी राष्ट्रीय व्याघ्र प्रकल्प द्वारा दी गई है. जिसमें सबसे ज्यादा संख्या 29 मध्यप्रदेश में तथा महाराष्ट्र में बाघो की मौत की संख्या 16 इस प्रकार से देशभर के विविध क्षेत्रों में 64 बाघों की मौत की जानकारी प्राप्त हुई है. व्याघ्र प्रकल्प व अतिसंरक्षित क्षेत्रों में शिकार की घटनाओं का भी समावेश है. राज्य में 16 में से 9 मौते प्रकल्प व अतिसंरक्षित क्षेत्रो में हुई है. जिसमें अब व्याघ्र प्रकल्प व अतिसंरक्षित क्षेत्रों पर कडाई से नजर रखने की आवश्यकता है.
राज्य में हुई बाघों की मौत की घटना सामने आते ही ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प बफर जोन के मुंधोली यहां खेत परिसर में 24 जुलाई को 11 महीने पूर्व एक बाघ का बिजली के झटके से शिकार किए जाने की घटना सामने आयी थी. ताडोबा के बफर जोन के मोहाली वनक्षेत्र के सिताराम पेठ नियंत्रण क्षेत्र के कक्ष क्रमांक 956 में 10 जून 2020 को पूर्ण रुप से विकसित मादा बाघ व उसके दो शावको का जहर देकर शिकार किया गया था. तथा ब्रम्हपुरी वनक्षेत्र के सिंधवाही वनपरिक्षेत्र में 3 नवंबर को बाघ का शिकार किया गया था. लॉकडाउन काल में जंगली सूअरों से फसलों की सुरक्षा किए जाने के लिए किसान द्वारा बिजली की तारे छोडी गई थी उसके भी संपर्क में आने से बाघ की मौत हुई थी.