विदर्भ

राज्य के जल संग्रहण में 12 फीसदी कमी

दो माह धूप की तपन और अधिक इस्तेमाल का परिणाम

पुणे दि.4– नवंबर व दिसंबर इन दो माह में अधिकांश समय कम-ज्यादा ठंडी और दिन का तापमान बढने के असर राज्य के जलसंग्रहण पर हुआ है. इस बार आक्तूबर के आखिर में हुई बारिश के कारण नवंबर के शुरुआत में राज्य के बडे प्रकल्पों में रिकॉर्ड जल संचयित होने के बाद भी दो माह में इसमें 12 प्रतिशत कमी आई है.
जून से सितंबर तक चार माह के मानसून में महाराष्ट्र राज्य में औसतन तुलना में 23 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज हुई है. इसी कालावधि में राज्य के बांधों में समाधानकारक जल संग्रहित हुआ था. अनेक बांधों से पानी भी छोडा गया. राज्य में 14 अक्तूबर से वापसी की बारिश शुरु हुई. पश्चात 22 अक्तूबर तक और उसके पूर्व भी राज्य में वापसी की बारिश का कहर रहा. इस बारिश के कारण अनेक इलाकों में खेती का नुकसान हुआ. लेकिन दूसरी तरफ सभी बांध लबालब हो गए. 1 अक्तूबर से राज्य में औसतन से 102 प्रतिशत अधिक और रिकॉर्ड बारिश दर्ज हुई. इससे सभी बडे प्रकल्प लबालब हो गए. कोयना, उजनी, झायकवाडी आदि प्रकल्प भी ओवरफ्लो होने से इन प्रकल्पों से पानी छोडा गया. अक्तूबर आखिर तक बांधों मेंं पिछले कुछ वर्षो की तुलना में रिकॉर्ड जलसंग्रहित हुआ था. नाशिक विभाग में भारी वर्षा होने से इस विभाग के बांधों में 99.53 प्रतिशत पानी जमा हो गया था. पश्चात अमरावती विभाग के प्रकल्पों में 98.68 प्रतिशत, औरंगाबाद विभाग में 97.57, पुणे विभाग में 97.35 प्रतिशत, कोकण विभाग में 96.52 और नागपुर विभाग के बडे प्रकल्पों में 89.22 प्रतिशत जलसंचित था. इस बार मानसून के मौसम में भी बारिश की स्थिति रहने से नवंबर और दिसंबर में ठंड कम महसूस हुई. दिन में आसमान साफ रहने से कडी धूप के कारण लोग परेशान रहे. इस दो माह में राज्य में तापमान काफी रहा. इस कारण बांधों के जल संग्रहण पर इसका परिणाम हुआ है. ठंड के मौसम में दो माह में बांधों का जलस्तर 10 से 12 प्रतिशत कम हुआ है.

* बडे प्रकल्पों का जलस्तर
विभाग 1 नवंबर वर्तमान स्थिति
अमरावती 98.68% 83.15%
औरंगाबाद 97.67% 88.03%
कोकण 96.33% 83.43%
नाशिक 99.05% 94.02%
पुणे 97.03% 85.44%
कुल 96.72% 85.74%

 

 

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