-
घाटे में रहने वाले महामंडल को पड रहा महंगा
वर्धा प्रतिनिधि/दि.10 – एसटी बस की देखभाल पर साल में करोडों रुपये का खर्च हो रहा है फिर भी वह बीच में नादुरुस्त होने का अनुभव यात्रियों को लगातार आता है. जिससे यात्री परिवहन महामंडल के प्रति रोष व्यक्त करते हुए दिखाई देते है. जिले में पिछले सालभर में बस डिपो से बाहर पडने के बाद पूरी 157 बसेस बंद पडी है. जिले की दुर्लक्षित सडकों से एसटी के टायर पंक्चर होना, छूटे हिस्सों का नुकसान होना आदि का हमेशा ही झटका लगता है. क्लच प्लेट, प्रेशर प्लेट, ट्रान्समिशन सिस्टम में बिघाड निर्माण होना, इंजिन बंद पडना इसके अलावा इलेक्ट्रीकल समस्याओं के चलते एसटी बीच में ही नादुरुस्त होती है. इसमें अधिकांश समय तो यात्रियों को धक्का लगाना पडता है. किसी यात्री को नियोजित स्थल पर तत्काल जाना रहा तो उनकी ओर से ऐसे में रोष व्यक्त होता है.
वर्धा विभाग अंतर्गत वर्धा समेत आर्वी, हिंगणघाट, पुलगांव, तलेगांव (श्यामजीपंत) इस तरह पांच डिपो है. यह पांचों डिपो मिलाकर कुल 228 बस गाडियां है. समूचे विभाग में कुल 1500 अधिकारी, कर्मचारी कार्यरत है. एसटी की हररोज 340 से 250 किलोमीटर फेरियां होती है. कोरोना विषाणु प्रादुर्भाव काल में पूरे सात से आठ महिने एसटी के पहिये जगह पर थे. जिससे एसटी की देखभाल पर खर्च का प्रमाण इस बार कम रहा है. फिलहाल एसटी पूरी क्षमता से जिले के ग्रामीण हिस्से में और जिले के बाहर दौड रही है. एसटी रास्ते में ही बंद पडने का प्रमाण फिलहाल तो भी नहीं पाया गया. रास्ते में एसटी बंद पडने के कारण एसटी बस की देखभाल पर करोडों का खर्च होते हुए भी गाडियों में क्लच प्लेट, प्रेशर प्लेट, ट्रान्समिशन सिस्टम में बिघाड निर्माण होना, इंजिन बंद पडना, टायर पंक्चर होना इसके अलावा इलेक्ट्रीकल बाधाएं आई तो रास्ते में बीच में ही एसटी बंद पडती है. किंतु यह प्रमाण अब कम हो चुका है.
-
10 वर्ष से ज्यादा 90 बसेस
वर्धा विभाग अंतर्गत वर्धा, पुलगांव, हिंगणघाट, तलेगांव आदि पांच डिपो है. कुल 228 बसेस है. उपप्रादेशिक परिवहन विभाग के नियम के अनुसार 15 वर्ष तक बस इस्तेमाल करते आती है. किंतु वर्धा विभाग अंतर्गत आमतौर पर 8 से 10 वर्ष तक ही बस गाडी का इस्तेमाल किया जाता है. 12 साल के बाद बस स्क्रैप में निकाली जाती है. अथवा यह गाडियां मालवाहतूक गाडी में तब्दील की जाती है. यात्रियों की असुविधा न हो इसके लिए वर्धा विभाग की ओर से सुस्थिति की बसेस उपयोग में लायी जाती है तथा बस गाडियों के मेंटेनन्स की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है.
एसटी की देखभाल के लिए बडा खर्च होता है. वह महामंडल को महंगा साबित होता है. यात्रियों को अच्छी सुविधा देने के लिए वह करना ही पडता है. वर्तमान स्थिति में डिपो के बस गाडियों की स्थिति अच्छी है. बस गाडियां रास्ते में बीच में ही बंद पडने का प्रमाण कम हुआ है.
– पल्लवी चोकट, डिपो प्रमुख वर्धा