विदर्भ

12 करोड़ नागरिकों के अन्न सुरक्षा की जिम्मेदारी 180 अधिकारियों पर

अनधिकृत विक्रेताओं पर कार्रवाई की मर्यादा

नागपुर/दि.5- लोकसंख्या बढ़ने पर अन्न सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने वाले सिर्फ 180 अन्न सुरक्षा अधिकारी फिलहाल राज्य में कार्यरत हैं. अन्न व औषधि प्रशासन विभाग में (एफडीए) अत्यंत कम मनुष्यबल होने के कारण अनधिकृत विक्रेताओं पर कैसे कार्रवाई होगी, ऐसा प्रश्न निर्माण हो रहा है.
सरकार ने नागरिकों को सुरक्षित व दर्जेदार अनाज देने के लिए कड़े नियम बनाये. अन्न व औषध प्रशासन विभाग के अन्न व औषध प्रशासन विभाग के अन्न शाखा द्वारा उसे अमल में लाया जा रहा है. पुराने अन्न मिलावट प्रतिबंधक कानून के अनुसार एक लाख लोकसंख्या के लिए 1 अन्न सुरक्षा अधिकारी ऐसा निकष है. कानून बदलने पर प्रति एक हजार पंजीकृत व्यवसायियों के लिए 1 अन्न व सुरक्षा अधिकारी ऐसा निकष ठहराया गया. लेकिन किसी भी राज्य में इस कानून का पालन नहीं किया जा रहा
महाराष्ट्र की लोकसंख्या 12 करोड़ के करीब है. महाराष्ट्र राज्य अन्न अधिकारी कल्याणकारी संगठना के अनुसार, राज्य में अन्न व सुरक्षा अधिकारियों के 350 पद मंजूर है, लेकिन प्रत्यक्ष में 180 पद ही भरे जाने के कारण अन्य पद रिक्त है. इनमें के कुल अधिकारियों में से 166 प्रत्यक्ष कार्यक्षेत्र में तो अन्य 14 मुंबई के एफडीए के मुख्यालय में होते है.
अतिरिक्त जिम्मेदारियां व कामों के कारण इन अधिकारियों की काफी कसरत होती है. कम अधिकारियों के कारण फेरीवाले, उपहारगृह, होटल्स, किराना दूकान, पानठेले पर के प्रतिबंधित तंबाखू, गुटखा, पान मसाला सहित अन्य जांच किस तरह से की जाएगी, ऐसा प्रश्न निर्माण हो रहा है.
* अनधिकृत फेरीवालों का प्रश्न गंभीर
नागपुर सहित राज्य के अनेक भागों में आज भी कई फेरीवाले, विक्रेता अन्न व औषध प्रशासन में पंजीयन नहीं करते. एफडी के पास कम मनुष्य बल होने के कारण उनकी कार्रवाई मर्यादित होती है. दरमियान मनुष्यबल कम होने के कारण पंजीकृत फेरीवालों से नमुने लेकर जांच करने का प्रमाण भी राज्य में कम है.

तमिलनाडु की स्थिति अच्छी
तमिलनाडु की लोकसंख्या साढ़े सात करोड़ के करीब है, लेकिन यहां पर 550 अन्न व सुरक्षा अधिकारी हैं. जिसके चलते तमिलनाडु अन्न व सुरक्षा बाबत स्टेट सेफ्टी इंडेक्स में देश में पहला है.

 

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