विदर्भ

15 वर्ष के दौरान राज्य में मांजे से 182 की मौत

1600 प्राणियों व 13,000 पक्षियों ने गवाई जान

नागपुर/दि. 7 – पतंग का मांजा मनुष्य के साथ पशु, पक्षियों की जान के लिए घातक साबित हो रहा है. प्राणियों की जान लेने वाले मांजे पर 30 मार्च 2015 को उच्च न्यायालय ने बंदी लाई थी. मगर शासन, प्रशासन की लापरवाही के चलते धडल्ले से मांजा बेचा जा रहा है. राज्य में पिछले 15 वर्षों में 182 लोगों ने जान गवाई है. जिसमें वृध्द लोगों का भी समावेश है. इसके अलावा 1600 प्राणियों और 13,000 पक्षियों ने भी इसी मांजे के चलते जान गवाई हैं.
मकर संक्रांति के काल में पतंग उडाना बडा उत्सव है फिर भी सामान्य तौर पर 2006 से पतंगबाजी के लिए नायलॉन मांजे का उपयोग बढ जाने के कारण यह उत्सव लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. इस जानलेवा मांजे के खिलाफ विभिन्न सामाजिक संस्थाओं व्दारा राज्यभर में आंदोलन किये जा रहे है. न्यायालयीन लडाई भी लढी जा रही है. राज्यभर में नायलॉन मांजे की वजह से मरने वालों की जानकारी एकत्रित करने पर चौकाने वाले आंकडे सामने आये. न्यायालय व्दारा बंदी लागू करने के बाद वर्ष 2016 से राज्य में 95 से 100 लोगों की नायलॉन मांजे ने जान ली है और 119 लोग गंभीर रुप से घायल या विकलांग हुए है. कुत्ते, बिल्ली, बंदर जैेसे प्राणियों की भी जान गई हैं. पांच वर्ष में 1600 प्राणियों ने जान गवाई और 13,000 पक्षियों की बली हुई हैं. 6500 पक्षी घायल हुए, इसमें से 50-60 प्रतिशत ने अपनी जान खोई हैं.

घायल होने में पुलिस कर्मियों का समावेश

नायलॉन मांजे के कारण राज्य में पिछले 15 वर्षों में 181 लोगों की जान गई हैं. 84 लोग विकलांग हो गए. 7 हजार से अधिक व्यक्ति गंभीर रुप से घायल हुए हैं. इसमें सबसे अधिक पुलिस कर्मचारियों का समावेश हैं. 12000 प्राणी और 40,000 से अधिक पक्षी गंभीर रुप से घायल हुए हैं, इसमें से 70 से 75 प्रतिशत पक्षियों की जान जाने की बात सामने आयी हैं.

पतंग लूटने के चक्कर में भी जाती है जान

नायलॉन मांजेे से ही केवल गला कटने के कारण जान जाती है, ऐसा नहीं है. मांजा फंस जाने के कारण वाहनों की दुर्घटना होती है, पतंग के पीछे दौडते समय बिल्डिंग से गिरने, वाहनों से टकराने के कारण भी मौत होती है. नायलॉन मांजा बिजली के तार में फंस जाने के कारण भी करंट लगने के कारण लोगों की जान गई हैं. मवेशियों के पेट में जाकर उनकी मौत होती हैैैं, ऐसी घटनाओं के बाद भी नायलॉन मांजे का कारण दर्ज नहीं किया जाता.

मनुष्यवध का अपराध दर्ज करें

पिछले कई वर्षों से सामाजिक संगठनाएं न्यायालयीन लडाई लड रही है. नायलॉन मांजा बेचने वाले व उपयोग करने वालों पर सतोष मनुष वध का अपराध दर्ज करने की मांग की जा रही है. मांजे का निर्माण बंद किया जाए, इसके लिए राष्ट्रपति समेत कई अधिकारियों और मंत्रियों को ज्ञापन सौंपे गए हेै. जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, निगमायुक्त, प्रदूषण मंडल, वन विभागों के अधिकारियों से भी मुलाकात कर कार्रवाई करने की मांग की जा रही है.

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