विदर्भ

विदर्भ ट्रान्सपोर्ट व्यवसायियों को 200 करोड का फटका

लॉकडाउन व डीजल के दाम बढने का असर

  • 80 फीसदी ट्रक जगह पर ही खडे

नागपुर/प्रतिनिधि दि.१५ – लॉकडाउन के चलते केंद्र तथा राज्य सरकार ने ट्रान्सपोर्ट व्यवसाय को अनुमति दी है. किंतु देश के अधिकांश राज्यों में कडे लॉकडाउन और पाबंदियों के चलते दूकानें व उद्योग बंद होने की वजह से 80 फीसदी माल की आवाजाही बंद है. जिसकी वजह से विदर्भ के ट्रान्सपोर्ट व्यवसायियों को 200 करोड रुपए का फटका बैठने की जानकारी सामने आयी है. जिसमें करीब 200 करोड रुपए का व्यवसाय डूब गया.
ट्रान्सपोर्ट द्बारा माल की ढूलाई बंद होने की वजह से माल की भी किल्लत निर्माण हो रही है. तकरीबन 80 फीसदी माल ढूलाई करने वाले ट्रक जगह पर ही खडे दिखाई दे रह है. कारखानों में माल का उत्पादन तो हो रहा है किंतु बिक्री नहीं होने की वजह से माल की आवाजाही बंद है. केवल जीवनावश्यक वस्तु व लोहा, सीमेेंट तथा कोयले की ही ढूलाई जारी है. इतना ही नहीं माल चढाने उतारने में मजदूरों की भी किल्लत महसूस हो रही है.
एक ओर देश के अधिकांश राज्यों में लॉकडाउन दूसरी ओर सालभर में बढते डीजल के दामों का भी असर ट्रॉन्सपोर्ट व्यवसाय पर पडा है. डीजल के दाम प्रति लीटर 20 रुपए से बढे है. जिसमें दाम अब 88 रुपए 64 पैसे तक पहुंच चुके है. कोरोना संकट काल में अनेकों ड्रॉयवर व क्लिनर अपने-अपने घरों को लौट गए है और वे कोरोना की दहशत के चलते वापस आने को तैयार नहीं है यह भी एक कारण बताया जा रहा है. ट्रॉन्सपोर्ट व्यवसायियों के अनुसार लॉकडाउन के पहले हैदराबाद का किराया 5 हजार व मुंबई का किराया 10 हजार था किंतु अब वह भी नहीं मिल पा रहा है.
राज्य की उपराजधानी नागपुर में 18 से 20 हजार तथा संपूर्ण विदर्भ भर में 30 हजार के लगभग ट्रक है. इसमें से 80 फीसदी ट्रक ट्रॉन्सपोर्ट व्यवसायियों द्बारा खडे कर दिए गए है जिसकी वजह से तकरीबन 200 करोड रुपए का व्यवसाय डूब रहा है. एक ट्रक 40 से 50 लाख रुपए का होता है. लॉकडाउन की वजह से अनेकों ट्रक मालिकों ने ट्रक की मासिक किश्त पिछले छह महीनों से नही भरी है उस पर फायनांस कंपनियों व बैंकों द्बारा चक्रवात ब्याज लग रहा है. ट्रक व्यवसायियों को रोड टैक्स भी देना होता है. इसके अलावा उन्हें बीमा भी निकालना होता है ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार माल ढूलाई करने वाले ट्रकों को रोड टैक्स व इन्शुरेंस में छूट दी जाए तथा बैंक व फायनांस कंपनियां किश्तों में राहत दे ऐसी मांग ट्रान्सपोर्ट व्यवसायियों द्बारा की जा रही है.

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