वर्धा 21:- जिले में महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान संस्था तथा जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा अगस्त माह में किये गए प्रतिपिंड सर्वेक्षण में अनेक नई बाते सामने आयी है़ उल्लेखनिय यह कि, 1 अगस्त तक प्रत्यक्ष में कोविड-19 के केवल 205 मरिज होने की बात स्पष्ट हुई़ जबकि 21 लोगो को कोरोना संक्रमण ने जखडने की जानकारी सेरो सर्वेक्षण में सामने आयी है़ मात्र संक्रमण का यह प्रमाण केवल 1.50 फिसदी बताया गया़
वर्धा जिले में कोरोना का संक्रमण कितने लोगें हुआ, इसकी सही जानकारी लेने के लिए लोगों में इस विषाणू के खिलाफ लढने प्रतिपिंड तैयार हुई क्या, इसका अध्ययन करणा जरुरी था़ क्योंकि, प्रत्यक्ष जांच में पुष्टी हुए मरिजों में से संक्रमण का प्रमाण लोकसंख्या में अधिक होता है़ प्रतिपिंड अध्ययन याने जनसंख्या की अधिक मात्रा में कोविड 19 विषाणू का संक्रमण प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देता़ इस लिए समुह में सही मायनो में संक्रमन से अधिक कोविड-19 की बडी मात्रा में पुष्टी हुए मरिजो की संख्या कम दिखाई देती है़ जनसंख्या की मात्रा में सही संक्रमण के प्रतिशत की जानकारी देनेवाला अध्ययन याने प्रतिपिंड अभ्यास है़ कोविड-19 के लिए प्रतिपिंड सर्वेक्षण अनुसार सार्स-कोव-2 के विरूद्ध प्रतिपिंड होनेवाले लोकसंख्यी की प्रतिशत का अनुमान यह आमतौर पर जनता में संक्रमण के सही विस्तार की जानकारी देता है़
प्रतिपिंड अध्ययन की पध्दति
जिले में समुह आधारित सेरो-सर्वेक्षण अध्ययन महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान संस्था सेवाग्राम के माध्यम से किया गया था़ इसके लिए जिला प्रशासन का काफी सहयोग मिला़ अगस्त के दूसरे सप्ताह में 10 ते 17 अगस्त दौरान किये गए सर्वेक्षण में बुजुर्गों में (18 वर्ष अथवा इससे अधिक आयु गुट के) संक्रमण की व्याप्ती का अनुमान लगाया गया़ जिले के आठ तहसील में आम जनता के अलावा कंटमेंट जोन में रहनेवाले तथा संक्रमण की जोखीम होनेवाले लोगो का इस अध्ययन में समावेश किया गया था़
2437 के खुन के नमुने संकलन
जिला स्वास्थ्य यंत्रणा एवं एमजीआइएम सेवाग्राम के स्वास्थ्य कर्मियों का समावेश होनेवाले सर्वेक्षण दस्ते ने 30 गांव, 10 शहरी वार्ड तथा 20 निष्क्रिय प्रतिबंधित क्षेत्र का दौरा किया़ इसमें 2430 लोगों के खुन के नमुने संकलित किये गए़ उनमें सार्स-कोव-2 विरूद्ध प्रतिपिंड अस्तित्त्व में हैं या नहीं, इसकी जांच सेवाग्राम के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में की गई़ उच्च जोखीम गुट में स्वास्थ्य सेवा कर्मचारी, पुलिस तथा सुरक्षा कर्मचारी, नप कर्मचारी, सब्जी व दुध बिक्रेता, औद्योगिक मजदूर तथा माध्यम कर्मचारियो का समावेश है़ सर्वेक्षण में समाविष्ट होनेवाले 2437 में से 1468 आम जनसंख्या, 562 गोग विविध उच्च जोखीम समुह तथा 407 लोग क्रियाशील न होनेवाले प्रतिबंधित क्षेत्र के निवासी थे़
अध्ययन का निष्कर्ष
आम जनसंख्या में 1.50 फिसदी (ग्रामीण क्षेत्र में 1.20 फिसदी तथा शहरी क्षेत्र में 2.34 फिसदी) का एक सिरोप्रिव्हलेन्स पाया गया़ कंटेनमेंट जोन में सेरोप्रिव्हलेन्स 2.70 फिसदी था़ उच्च जोखीम होनेवाले समुह में सेरोप्रिव्हलेन्स 1.42 फिसदी था, जो सामान्य जनसंख्या जैसा बताया गया़
इतने बडे पैमाने पर संक्रमण के कारण
संक्रमण के दो कारण हो सकते हैं, पहला कारण यह कि, लक्षण न होनेवाले लोगों में संक्रमण का (असीम्प्टोमेटिक इन्फेक्शन) प्रमाण अधिक है़ दूसरा कारण यह कि, इस बिमारी के संबंध में डर तथा कलंक से लक्षण होनेवाले मरिजों ने भी स्वास्थ्य ईलाज लेने तथा कोविड-19 की जांच करने से खुद को दूर रखा यह है़
सामने आया यह निष्कर्ष
इस सेरोप्रिवेलांस अध्ययन की रिपोर्ट में 1 अगस्त तक जिले में कम जनसंख्या स्तर की अत्यल्प प्रतिकारशक्ती थी़ कम सेरोप्रॅलेलेन्स याने कोविड-19 संक्रमण रोकने जिला प्रशासन ने किये प्रारंभिक प्रयास का फल है़ इसमें अलग रखने, संपर्क बनाना महत्त्वपूर्ण भूमिका रखता है़ इस प्रयास के लिए जिला प्रशासन के प्रयास महत्वपूर्ण है़ जिले की अधिकांश जनसंख्या में कोविड-19 विषाणू की लागन हाने की आशंका इस सर्वेक्षण में जताई गइ है़