
यवतमाल प्रतिनिधि/ दि.५ – यवतमाल जिले में फसलों पर कीटनाशक दवा का छिडकाव करते समय ३६ किसानों को विषबाधा होने की जानकारी सामने आयी है. करीब दो-तीन वर्षों पहले की यह पुनर्रावृत्ति होने से किसानों की जान पर खतरा मंडरा रहा है. अचानक जिले के ३६ किसानों को कीटनाशक छिडकाव से विषबाधा होने से जनजागृति पर भी सवालिया निशान उठने लगे है. यहां बता दे कि प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे किसानों पर मुुसीबत के बादल हटने का नाम नहीं ले रहे है. तकरीबन दो-तीन वर्ष पहले खेतों में फसलों पर कीटनाशक दवा का छिडकाव करते समय ८८६ किसानों को विषबाधा हुई थी. जसके बाद सभी किसानों को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया था. इस दौरान २२ किसानों की विषबाधा से मृत्यु भी हुई थी.
विषबाधा से किसानों की होने वाली मृत्यु को टालने के लिए कृषि विभाग की ओर से फसलों पर छिडकाव किस तरह से किया जाए, इसे लेकर जनजागृति भी शुरु की, लेकिन इस बार पुन: ३६ किसानों को विषबाधा होने का मामला सामने आने के बाद जनजागृति पर भी सवाल उठने लगे है. पहली बार जब किसानों को विषबाधा का मामला सामने आया था तब दो वर्षों तक कंपनियों की ओरसे किसानों को सुुरक्षा कीट का भी वितरण किया, लेकिन इसके बाद से जनजागृति तो दूर कीट वितरण भी बंद पड गया. जिसके परिणाम स्वरुप ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को कीटनाशक छिडकाव से विषबाधा शुरु हो गई है. अब तक ३६ किसानों को विषबाधा होने की जानकारी वसंतराव नाईक शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय में दर्ज कराई गई है. उनमें से १३ किसानों पर अभी भी उपचार चल रहा है.