पूर्व विदर्भ के 35 हजार किसान धान बिक्री से वंचित
अवधि खत्म : निजी व्यापारियों को कम कीमत में धान बिक्री की नौबत
गोंदिया/दि.15– आदिवासी विकास महामंडल एवं जिला मार्केटिंग फेडरेशन के धान खरीदी केंद्र पर खरीफ मौसम के धान बिक्री की अवधि 7 फरवरी तक थी. यह अवधि खत्म होने से पूर्व विदर्भ के पांच जिलों के 35 हजार से अधिक किसान धान की बिक्री करने से वंचित रहने की जानकारी है.
किसानों को हमी भाव से कम दाम न मिले, इसके लिए शासन आदिवासी विकास महामंडल व जिला मार्केटिंग फेडरेशन के माध्यम से शासकीय धान खरीदी केंद्र से हमी भाव से धान खरीदते हैं. इस बार शासन ने धान खरीदी केंद्र पर धान की बिक्री करने के लिए ऑनलाईन पंजीयन की शर्त लागू की थी. इसके लिए अकेले गोंदिया जिले के 1 लाख 31 हजार किसानों ने पंजीयन करवाया था. वहीं शेष जिलों के साढ़े चार लाख से अधिक किसानों ने पंजीयन करवाया था. जिला मार्केटिंग फेडरेशन ने जिले में 7 फरवरी तक 107 धान खरीदी केंद्र पर से 35 लाख 50 हजार क्विंटल धान खरीदा. लेकिन धान बिक्री करने की अवधि 7 फरवरी को खत्म होने के कारण पूर्व विदर्भ के 35 हजार किसान धान बिक्री करने से वंचित रहे. जिसके चलते इन किसानों को अब अत्यल्प दर में निजी व्यापारियों को धान बिक्री करने की नौबत आयी है. शासकीय धान खरीदी केंद्र पर धान की बिक्री करने वाले किसानों का गत दो महीने से चुकारा बकाया है. जिसके चलते किसानों की आर्थिक स्थिति डगमगाई है. उन पर साहूकार व रिश्तेदारों के सामने हाथ फैलाने की नौबत आयी है.
* बोनस का भी पता नहीं
उत्पादन खर्च के अनुसार धान को अपेक्षित हमी भाव न मिलने से गत कुछ वर्षों से राज्य की सरकार धान उत्पादकों को सानुग्रह अनुदान यानि बोनस देती है. गत वर्ष आघाड़ी सरकार ने 50 क्विंटल मर्यादित प्रति क्विंटल 700 रुपए बोनस किसानों को दिया था. इस वर्ष वैसी घोषणा नहीं की. मुंबई के शीतकालीन अधिवेशन में अर्थमंत्री व उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बोनस की बजाय धान उत्पादकों को सीधे उनके खाते में डीबीटी योजना द्वारा रकम जमा करने की घोषणा की है. लेकिन इस संबंध का कोई परिपत्रक नहीं निकाले जाने से किसानों में संभ्रम है.