विदर्भ

रेणुका माता का 350 वर्ष पुरातन मंदिर

टारकखेडा शंभू में जागृत देवी के दर्शनों के लिए उमड रह भक्तगण

टाकरखेडा संभू/दि.9 – भातकुली तहसील के टाकरखेडा संभू में सती रेणुका माता का जागृत मंदिर है. कहा जाता है कि इस देवी की स्थापना प्राचीन काल में यानि 300 से 350 वर्ष पूर्व हुई थी. यह देवी पंचकृषि के नागरिकों का श्रद्धास्थान है. नवरात्रोत्सव में देवी के दर्शन लेने भक्तगणों की भारी भीड उमडती है. पिछले साल कोरोना की पार्श्वभूमि पर यह उत्सव रद्द कर दिया गया था, लेकिन अभी कोरोना का संक्रमण कम होने के चलते राज्यभर में 7 अक्तूबर से मंदिरों के पट खोले गए है जिससे भक्तों में हर्षोल्लास का वातावरण है.

गाय की आय से मंदिर का जीर्णोद्धार

यहां के बुजुर्गो के अनुसार रेणुका माता का जन्म एक गोसावी के घर में हुआ था. कहा जाता है कि गांव के कई लोगों ने इस देवी की दिव्य शक्ति का अनुभव किया है. किसी ने देवी को गाय दान की थी कुछ दिनों बाद गाय ने एक बछडे को जन्म दिया. यह गाय कहीं भी घुमती टहलती उसे कोई भी चारा-पानी देता. उससे होने वाली आय पर मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ. समय के साथ यावले परिवार ने चमत्कार का अनुभव किया. जिससे देवी की कृपा से उन्होंने मंदिर को दो एकड खेत दान कर दिया. तभी से इस मंदिर की पंच समिति बनाई गई है. मंदिर का प्रबंधन अब इसी समिति व्दारा किया जाता है. मंदिर का निर्माण प्रभाकर बापू देशमुख के कार्यकाल के दौरान शुरु हुआ जब वे मंदिर के अध्यक्ष थे. बाद में गजानन बोबडे अध्यक्ष बने और दिलीप वानखडे इस संस्था के सचिव है.

9 दिनों तक अन्नदान

नवरात्रोत्सव में सात दिनों तक देवी का उत्सव मनाया जाता है. विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते है. गांव से एक भव्य जुलूस निकाला जाता है. इसी के साथ पुंडलिक महाराज की जयंती भी यहां वर्षो से मनाई जा रही है. यह कार्यक्रम महाराज जयंती व्दारा शुुरु किया गया था. सात दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम में भी पुंडलिक महाराज की शोभायात्रा गांव से निकाली जाती है. नवरात्रि पर यहां दुर्गा मूर्ति की स्थापना की जाती है. नवरात्री पर बडे पैमाने पर अन्नदान किया जाता है. ग्रामवासियों का एक दृढ विश्वास है कि यह जागृत मंदिर है.

गांव में कई प्रचितियां

रेणुका माता को लेकर कई तरह की प्रचितियां है. गांव के बडे बुजुर्ग बताते है कि महादेव बोबडे के परिवार के एक सदस्य की तबीयत चिंताजनक थी. तब रेणुका माता की भभूत लगाने से पांच घंटे में स्वस्थ्य हो गए अस्पताल जाने की भी जरुरत नहीं पडी. बोबडे परिवार भी यह दावा करता है कि भाउराव अडीवकर के सपने में आकर देवी ने आशीर्वाद दिया. शिवराव देशमुख की बेटी बीमारी से गंभीर हो गई थी रेणुका माता के भभूत से उसी तबियत में सुधार आने का दावा परिवार के लोग करते है. उषा रमेश सावकर के घर दत्त जयंती पर एक महिला आई उसने उसे भोजन करवाया लेकिन घर से बाहर निकलते ही महिला कहां गायब हो गई कुछ पता ही नहीं चला.

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