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आईसीयू में 485 तथा कैज्युअल्टी में 128 मरीजों की मौत
नागपुर/प्रतिनिधि दि.३ – कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप शुरु ही है. लॉकडाउन पर अमल के बाद भी कोरोना संसर्ग की श्रृंखला तोडने में प्रशासन को सफलता नहीं मिली. उसी में पहली लहर के दौरान शासकीय यंत्रणा में अतिदक्षता विभाग के (आईसीयू) बेड बढाने को प्राथमिकता देने की ओर दुर्लक्ष हुआ. परिणाम स्वरुप अकेले अप्रैल महिने में आईसीयू बेड के अभाव में 365 कोरोना बाधितों की मृत्यु होने की सनसनीखेज सच्चाई सामने आयी है.
कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए तत्काल व निर्यायक कदम उठाने की जरुरत थी. नागपुर में ऐसा नहीं हुआ. सितंबर 2019 में मेडिकल में ऑक्सिजन के 400 बेड बढाकर 1 हजार होने वाले थे. किंतु इसे किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया. वर्तमान स्थिति में शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल में (मेडिकल) 245, इंदिरा गांधी शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल में (मेयो) 90 तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था में तकरीबन 15 आईसीयू के बेड है. आमतौर पर 35 लाख जनसंख्या रहने वाले नागपुर के शासकीय अस्पताल में केवल 350 आईसीयू के बेड की व्यवस्था परिणाम स्वरुप आईसीयू बेड की जरुरत रहने वाले मरीज को भी मजबुरन ‘हाय डिपेंडन्सी यूनिट’ (एचडीयू) वार्ड में रखने की नौबत मेडिकल प्रशासन पर आ रही है. 1 से 27 अप्रैल के बीच ‘एचडीयू’ वार्ड में 365 कोरोना बाधितों की मृत्यु हुई है.
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कैज्युअल्टी की मौत की जिम्मेदार कोैन?
मेडिकल में अप्रैल महिने की 27 तारीख तक 987 कोरोना बाधितों की इलाज के दौरान मौत हो गई. इसमें आईसीयू में 485 मरीजों की जान गई. धक्कादायक यह कि इलाज के लिए आये हुए 128 मरीजों की मृत्यु कैज्युअल्टी में हुई है. समय पर आवश्यक इलाज न मिलने से हुई इस मृत्यु को जिम्मेदार कौन, इस तरह का प्रश्न उपस्थित किया जा रहा है.
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सनसनीखेज आंकडे
विभाग मृत्यु प्रतिशत
आईसीयू 485 39.59
कैज्युअल्टी 128 10.45
प्रिसम्पटीव्ह 09 0.73
एचडीयू 365 29.80
ब्रॉट डेड 238 19.43