विदर्भ

400 लाख मीट्रिक टन भंडार, फिर भी निर्यात पर रोक

सरकार के फैसले से चावल उत्पादकों के साथ उद्योजक भी संकट में

नागपूर/दि.19– भारतीय खाद्य निगम के पास 400 लाख मीट्रिक टन से अधिक चावल स्टॉक में है. इस सत्र के लिए लगभग 1,080 लाख मीट्रिक टन चावल का नया भंडारण किया जाएगा. देश में चावल की कमी के कोई संकेत न मिलने पर सरकार ने जुलाई में गैर-बासमती चावल पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिया. इस फैसले से देशभर के करीब 27 हजार चावल उद्योग संकट में हैं. फेडरेशन ऑफ विदर्भ राइस इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.

वर्ष 2022-23 में देश में लगभग 16 मिलियन मीट्रिक टन बासमती का उत्पादन हुआ. इसमें से 110 लाख मीट्रिक टन घरेलू बाजार में बेचा गया. 47 लाख मीट्रिक टन का निर्यात विदेशों में हुआ. फिर भी तीन लाख मीट्रिक टन बासमती चावल बचा हुआ है. विदर्भ समेत पूरे मध्य भारत में पैदा होने वाले गैर-बासमती (उबले हुए) चावल को देखते हुए 210 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ. 130 लाख मीट्रिक टन घरेलू बाज़ार में बेचा गया और 80 लाख मीट्रिक टन विदेशों में निर्यात किया गया. 710 लाख मीट्रिक टन गैर-बासमती (कच्चा) चावल का उत्पादन हुआ. इसमें से 550 लाख मीट्रिक टन चावल घरेलू बाजार में निर्यात किया गया, जबकि 65 लाख मीट्रिक टन चावल निर्यात किया गया. अभी भी 95 लाख मीट्रिक टन चावल बचा हुआ है. ब्राउन राइस (बिना पॉलिश किया हुआ) का 10 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ और घरेलू बाजार में 5 लाख मीट्रिक टन बेचा गया. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि बाकी पांच लाख मीट्रिक टन विदेशों में निर्यात किया गया.

देश में लगभग 70 प्रतिशत लोगों को सरकार द्वारा राशन के माध्यम से बहुत कम कीमत पर चावल उपलब्ध कराया जाता है. ‘उबले चावल’ की घरेलू बाजार में बिक्री केवल दस प्रतिशत है. बाकी निर्यात किया जाता है. ऐसे में इस चावल की कीमत में बढ़ोतरी की संभावना नहीं है. फेडरेशन ऑफ विदर्भ राइस इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने दावा किया है कि करीब 145 लाख मीट्रिक टन गैर-बासमती चावल का निर्यात रुकने से विदेशी मुद्रा की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न हुई है. चावल मिलर्स की मांग है कि चावल पर से प्रतिबंध हटाया जाए, ‘उबले चावल’ पर 20 फीसदी निर्यात कर खत्म किया जाए, अगर ऐसा संभव नहीं है तो 50 डॉलर प्रति टन का निश्चित निर्यात कर लगाया जाए.

* वास्तव में क्या हो रहा है?
– देशभर में करीब 1,250 लाख मीट्रिक टन गैर-बासमती चावल का उत्पादन होता है.
– इसमें से 800 मीट्रिक टन की खरीद सरकारी केंद्रों से न्यूनतम आधार दर पर की जाती है.
– शेष 450 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद सरकारी दर से अधिक दर पर राइस मिलर्स से की जाती है.
– जो देश भारत से चावल खरीदते हैं वे अपनी ज़रूरतें दूसरों से पूरी कर रहे हैं क्योंकि सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है.

* आंकडे बोलते हैं…
– देश में कुल उत्पादन : 1,090 लाख मीट्रिक टन
– घरेलू बाजार में बिक्री: 795 लाख मीट्रिक टन
– विदेशों को निर्यात: 197 लाख मीट्रिक टन
– शेष : 98 लाख मीट्रिक टन

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