विदर्भ

कोविड मरीजोें के लिए ६० कोच 

डीआरएम सोमेशकुमार ने दी जानकारी

नागपुर – कोविड संक्रमित मरीजों के इलाज हेतु जरूरत पडने पर मध्य रेल्वे के नागपुर विभाग ने ६० कोच विशेष तौर पर तैयार किये है और राज्य सरकार द्वारा मांगे जाने पर यह सभी कोच उन्हें प्रदान किये जायेंगे. इस आशय की जानकारी मध्य रेल्वे के नागपुर विभाग व्यवस्थापक सोमेशकुमार ने एक पत्रकार परिषद में दी. शहर में कोरोना संक्रमितों की लगातार बढती संख्या के चलते अब कोविड अस्पतालों में मरीजों को भरती करने हेतु जगह उपलब्ध नहीं है. ऐसे में कई मरीजों का उनके घरों पर ही इलाज जारी है. जिसे लेकर रेल्वे द्वारा तैयार किये गये कोच के संदर्भ में पुछे जाने पर डीआरएम सोमेशकुमार ने कहा कि, मध्य रेल्वे के नागपुर विभाग में ६० कोच को हॉस्पिटल वॉर्ड की तरह रूपांतरित किया गया है. जिनका उपयोग कोरोना संक्रमित मरीजों को भरती करने हेतु किया जा सकता है. qकतु इन कोच में गंभीर स्थितिवाले मरीजों के इलाज की सुविधा नहीं. क्योंकि वहां ऑक्सिजन सिलेंडर अथवा अन्य साधन नहीं है, बल्कि आयसोलेशन व कोरोंटाईन जैसे कामों के लिए इन सभी कोच का उपयोग किया जा सकता है और राज्य सरकार द्वारा मांग किये जाने पर हम ये सभी कोच उपलब्ध करवा सकते है.

इस समय नागपुर से अन्य राज्यों के लिए तो ट्रेन उपलब्ध है कि, लेकिन मुंबई अथवा पुणे जैसे शहरों में जाने की व्यवस्था नहीं है. इस ओर ध्यान दिलाये जाने पर डीआरएम सोमेशकुमार ने बताया कि, फिलहाल राज्य सरकार द्वारा राज्य अंतर्गत रेल यात्रा पर प्रतिबंध लगाया गया है. और यह प्रतिबंध हटाये जाने पर राज्य अंतर्गत यात्रा की टिकटे उपलब्ध हो जायेगी. साथ ही उन्होंने बताया कि, अजनी में लॉन्डरींग का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन कोरोना की वजह से पूरी तरह बदल चुके हालात को देखते हुए अब भविष्य में वातानुकूलित शयनयान के यात्रियों को चादर व तकीया दिये जाये अथवा नहीं, इसे लेकर रेल्वे को आवश्यक विचार करना होगा. इसके संदर्भ में रेल्वे बोर्ड स्तर पर निर्णय लेने के बाद तय किया जायेगा कि, अजनी की लॉन्डरींग का क्या किया जाये.

निजी रेल शुरू होने में लगेगा तीन साल का वक्त

रेल्वे बोर्ड द्वारा कुछ रूटों पर निजी रेलगाडियां चलाने का निर्णय लिया गया है. जिसमें से दो निजी रेलगाडियां नागपुर से होकर गुजरेगी. लेकिन फिलहाल यह पूरी प्रक्रिया बोर्ड स्तर से शुरू है और इन रेलगाडियों हेतु रेलवे बोर्ड द्वारा ही निविदा जारी की जायेगी. जिसके चलते हम इस संदर्भ में फिलहाल कुछ नहीं कह सकते. किंतु अंदाजा है कि, वर्ष २०२३ तक यानी आगामी तीन वर्षाें में यह रेलगाडियां शुरू होंगी, ऐसा अनुमान भी डीआरएम सोमेशकुमार ने व्यक्त किया.

दस वर्षों में सौर उर्जा पर दौडेंगी रेलगाडियां

वहीं पता चला है कि, आगामी दस वर्षों के भीतर देश में सभी रेलगाडियां पूरी तरह से सौर उर्जा पर दौडना शुरू कर देगी. इस दृष्टि से भारतीय रेल्वे बोर्ड द्वारा आवश्यक कदम उठाये जा रहे है. जानकारी के मुताबिक वर्ष २०३० तक भारतीय रेल्वे को सालाना ३० अरब यूनिट बिजली की जरूरत पडेगी. जिसे सौर उर्जा के माध्यम से पूरा करने हेतु एक बडा प्रकल्प तैयार किया जा रहा है. इस समय भारतीय रेल द्वारा जिस विद्युत का प्रयोग किया जाता है, उसमें से अधिकांश बिजली विविध विद्युत कंपनियों द्वारा खरीदी जाती है लेकिन अब सौर उर्जा का प्रयोग कर बिजली के मामले में स्वयंपूर्ण होने का निर्णय भारतीय रेल्वे बोर्ड द्वारा लिया गया है. इस समय भारतीय रेल को २१ अरब बिजली की जरूरत पड रही है. ऐसे में सौर उर्जा के लिए विविध कंपनियों को रेलवे बोर्ड द्वारा अपनी जगह उपलब्ध करायी जायेगी. जानकारी के मुताबिक वर्ष २०२२ तक देश में डिजल इंजिनों को पूरी तरह से बंद करने का विचार रेल्वे बोर्ड द्वारा किया जा रहा है और वर्ष २०३० तक सभी रेल गाडियों को सौर उर्जा पर चलाये जाने को लेकर काम किया जा रहा है. बता दें कि, रेल्वे के शुरूआती दौर में कोयले पर चलनेवाले रेल्वे इंजिन चला करते थे. जिसमें कालानुरूप बदलाव होते गये और फिर डिजल इंजिन एवं बिजली पर चलनेवाले इंजिन आये. जिनसे से रेलगाडियों की गति बढी. वहीं अब वर्ष २०३० तक ग्रीन रेल्वे का लक्ष्य तय किया गया है. जिसके लिए सौर उर्जा के साथ ही पवन उर्जा का प्रयोग किया जायेगा.

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