विदर्भ

एक वर्ष में 8 लाख लोगों को श्वान दंश

देहातों में परिस्थिति खतरनाक

* संख्या बढने का भी अंदेशा
नागपुर /दि.7- प्रदेश के देहाती भागों में पिछले वर्ष 8 लाख लोगों को कुत्ते ने कांट लिया. ग्रामीण अस्पतालों और जिला स्वास्थ्य विभाग के पास यह आंकडा दर्ज है. इनमें निजी अस्पतालों और महानगरों के आंकडे शामिल नहीं है. जिससे आशंका है कि, यह संख्या और अधिक है. 10 लाख लोगों को श्वान दंश का अंदेशा स्वास्थ्य विभाग ने भी व्यक्त किया है. उन्होंने स्वीकार किया कि, टीकाकरण का मामला एक बडा चालेंज बन रखा है.
* 7102 मरीज गंभीर
श्वान दंश के बाद रैबिज का टीका लगाना अनिवार्य है. 2024-25 में 5 करोड 94 लाख रुपए रैबिज के टीके पर शासन ने खर्च किये है. उधर आंकडों के अनुसार वर्ष 2023-24 में देहांती भागों में 501103 घटनाएं श्वानदंश की दर्ज की गई. यह संख्या जिला शल्यचिकित्सक की रिपोर्ट में बतायी गई है. इनमें 7102 लोगों की हालत गंभीर हो गई थी. 2024-25 में ग्रामीण में कुत्ते के हमले की संख्या 7 लाख से अधिक हुई. इस वर्ष में भी 7389 लोगों की हालत चितांजनक हो गई थी. जिला शल्यचिकित्सक और जिला स्वास्थ्य अधिकारी दोनों विभागों ने आंकडे दर्ज किये हैं. यह भी बताया गया कि, छोटे बच्चों पर कुत्तों द्वारा हमले करना काफी मात्रा में होता है.

* क्या कहते हैं तज्ञ?
एनजीओ रॉ के एड. पवन सत्यप्रकाश शर्मा ने कहा कि, सरकार को अपनी अलग से पशु जन्म नियंत्रण सुविधा तैयार करनी चाहिए. प्रशिक्षित और विशेषज्ञ समर्पित दस्ते आवश्यक है. उसी प्रकार पशु चिकित्सा विभाग द्वारा अलग से टीकाकरण कार्यक्रम भी शुरु किया जाना चाहिए. वहीं पशु संवर्धन विभाग के सह आयुक्त डॉ. पठान ने माना कि, श्वान दंश की घटनाएं लगातार बढ रही है. ऐसे में पालतू और आवारा कुत्तों का टीकाकरण जरुरी है. राज्य में 22 लाख कुत्ते होने की जानकारी देते हुए डॉ. पठान ने बताया कि, इनमें से 13 लाख आवाारा श्वान है. कुत्तों का टीकाकरण प्राथमिकता से करना आवश्यक है.

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