* केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिलने का इंतजार
नागपुर/दि.07– राज्य के उत्तरी पश्चिम घाट क्षेत्र में बाघों का संवर्धन व संरक्षण करने के उद्देश्य से राज्य वनविभाग द्वारा ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प से 8 बाघों को सह्याद्री के वनक्षेत्र में स्थलांतरीत करने की तैयारी पूरी कर ली गई है. जिसके तहत 3 नर व 5 मादा बाघों को जल्द ही ताडोबा से सह्याद्री व्याघ्र प्रकल्प में भेजा जाएगा. जिसके लिए फिलहाल केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति मिलने की प्रतिक्षा की जा रही है.
इस संदर्भ में वनविभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच राज्य का उत्तरी पश्चिम घाट एक महत्वपूर्ण कॉरिडोअर है, जो वन्यप्राणियों के लिए शानदार अधिवास भी है. ऐसे में यहां पर बाघों का अधिवास क्षेत्र बढाने के लिए यह उपक्रम काफी सहायक साबित होगा. ताडोबा व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्र संचालक डॉ. जीतेंद्र रामगांवकर द्वारा बताया गया कि, सैह्याद्री व्याघ्र प्रकल्प में इस समय कोई भी बाघ नहीं है और यह इस तरह का देश में पांचवां व्याघ्र प्रकल्प है. ऐसे में वनविभाग ने इस व्याघ्र प्रकल्प में ऐसे युवा बाघों को स्थलांतरीत करने का निर्णय लिया है, जो अब तक कभी भी इंसानों व वन्यजीवों के बीच हुए संघर्ष का हिस्सा नहीं रहे. इन बाघों को मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद चरणबद्ध तरीके से स्थलांतरीत किया जाएगा और स्थलांतरीत करते समय उन्हें टैंक्यूलाइज किया जाएगा. ताकि स्थलांतरण प्रक्रिया के दौरान किसी तरह के कोई दिक्कत पैदा न हो.
डॉ. रामगांवकर के मुताबिक सह्याद्री व्याघ्र प्रकल्प महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सातारा, सांगली व रत्नागिरी जिलों की सीमा में 1165 चौरस किमी के क्षेत्रफल में फैला हुआ है और इसे वर्ष 2010 के दौरान चंदोली नैशनल पार्क व कोयना वन्यजीव क्षेत्र को आपस में समाहित करते हुए अस्तित्व में लाया गया था. यह कॉरिडोअर सह्याद्री व्याघ्र प्रकल्प को महाराष्ट्र के राधानगरी वन्यजीव क्षेत्र, अंबोरी संरक्षित वन्य क्षेत्र, गोवा के म्हादेई वन्यजीव क्षेत्र तथा कर्नाटक के भीमगढ वन्यजीव क्षेत्र व काली व्याघ्र प्रकल्प के साथ जोडता है. जिसके चलते सह्याद्री व्याघ्र प्रकल्प में बाघों को लाकर छोडने पर इस परिसर में बाघों की जनसंख्या को बढाया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि, हाल ही में हुई व्याघ्र एवं वन्यजीव गणना के दौरान सह्याद्री व्याघ्र प्रकल्प में लगाये गये किसी भी ट्रैप कैमरे में एक भी बाघ दिखाई नहीं दिया था. जिसके चलते यह स्पष्ट हुआ कि, हजारों एकड क्षेत्रफल में फैले इस व्याघ्र प्रकल्प में एक भी बाघ नहीं है. जिसके चलते इस व्याघ्र प्रकल्प में अब ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्पों से बाघों को स्थलांतरीत करने का निर्णय लिया गया.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक यह पहला मौका होगा, जब नर व मादा बाघों के जोडों को एकसाथ ताडोबा व्याघ्र प्रकल्प से सह्याद्री व्याघ्र प्रकल्पों में स्थलांतरीत किया जाएगा. इसके साथ ही सह्याद्री व्याघ्र प्रकल्प में महाराष्ट्र के पेंच व्याघ्र प्रकल्प सहित मध्य प्रदेश के व्याघ्र प्रकल्पों से भी बाघों को जल्द ही स्थलांतरीत किया जा सकता है.