नागपुर/प्रतिनिधि दि.२५ – चार सालों में कीटनाशक औषधियों के छिडकाव से राज्य के 80 खेत मजदूरों की मौत होने की जानकारी कृषि विभाग व्दारा दी गई रिपोर्ट में सामने आयी है. किसान व खेत मजदूरों को छिडकाव करते समय विषबाधा न हो इसके लिए 37 हजार से अधिक सैफ्टी कीट वितरण का दावा कृषि विभाग व्दारा किया गया है. फिर भी खेत मजदूरों की मौत हुई है.
राज्य में विषबाधा से मरने वाले खेत मजदूरों की शुरुआत 2017 में हुई थी. अकेले यवतमाल जिले में कीटनाशक छिडकाव से 19 लोगों की मौत हुई थी जिसमें 9 खेत मजदूरों का समावेश था. विदर्भ में यह आंकडा 24 तक पहुंच गया है. साल 2017-18 में राज्यभर में 2727 मरीज भर्ती हुए थे जिसमें से 63 की मौत हो चुकी है. साल 2018-19 में उपचार के लिए भर्ती 1680 मरीजों में से 16 खेत मजदूरों की तथा 219-20 में उपचार के लिए भर्ती 288 मरीजों में से किसी की भी मौत नहीं हुई थी. 2020-21 में भर्ती किए गए 711 मरीजों में से केवल एक की ही मौत हुई थी.
राज्य में छिडकाव करते समय विषबाधा से मौत न हो इसके लिए 37 हजार सैफ्टी कीट वितरण कृषि विभाग व्दारा किया गया था ऐसा रिपोर्ट व्दारा कहा गया. सर्वाधिक 640 सैफ्टी कीट यवतमाल व नांदेड में, नागपुर व बुलढाणा में 520, जलगांव में 600, अहमदनगर में 560, बीड व अमरावती जिले में 500 सैफ्टी कीट का वितरण किया गया. कीटनाश्क से मौत न हो इसके लिए राज्य में सिर्फ 164 कार्यशाला ली गई. जिसमें रत्नागिरी, धुलिया, नंदुरबार, औरंगाबाद, लातुर, नांदेड व जालना, अकोला तथा गोंदिया यहां पर एक भी कार्यशाला नहीं ली गई.
कृषि विभाग व्दारा कहा गया है कि इस संदर्भ में 56,401 पोस्टर्स 128 जिंगलस, 1,53,833 जानकारी पुस्तिका सहित 83 मोबाइल वैन व्दारा जनजागृती की गई. कोई भी कीटनाशक औषधी कितनी जहरीली है और उसे कितनी मात्रा में इस्तेमाल किया जाए और किसी भी फसल के लिए इस्तेमाल करते समय सुरक्षा के उपाय किए जाए यह सब जानकारी देने की जवाबदारी कृषि विभाग की है और कृषि विभाग ने यह जवाबदारी निभानी चाहिए ऐसा स्पष्ट मत शेतकरी संगठना के पूर्व अध्यक्ष राम नेवले ने व्यक्त किया.