धामणगांव रेल्वे/दि.30 – पिछले सात वर्षो से सर्वाधिक मौत नागपुर-औरंगाबाद इस 285 किमी के राष्ट्रीय महामार्ग पर हुई. राष्ट्रीय महामार्ग के गड्ढों की मरम्मत के लिए 84.15 करोड रुपए खर्च किए गए थे. किंतु पहली ही बारिश में खर्च किए गए 84.15 करोड पानी में चले गए. महामार्ग पर निकृष्ट दर्जे का काम किए जाने की वजह से इस महामार्ग पर पुन: गड्ढे ही गड्ढे दिखाई दे रहे है. इस मार्ग का निकृष्ट दर्जे के काम की जावबदारी स्वीकारेगा कौन ऐसा प्रश्न यहां निर्माण किया जा रहा है.
नागपुर-औरंगाबाद-सिंन्नर-धोटी-मुंबई इस 753 महामार्ग का निर्माण 18 वर्ष पूर्व रास्ते विकास महामंडल व्दारा किया गया था. उसके पश्चात लोकनिर्माण विभाग को देखरेख की जवाबदारी सौंपी गई थी. कुछ ही सालों में इस रास्ते पर बडे-बडे गड्ढे पड गए जिसकी मरम्मत के लिए 84.15 करोड खर्च किए गए. किंतु फिर भी महामार्ग का वही हाल है.
नागपुर से मुंबई जानेवाला दूसरा पर्यायी नागपुर-मुंबई राष्ट्रीय महामार्ग क्रं. 6 भी नादुरुस्त है. इस रास्ते पर टोल अधिक रहने की वजह से सर्वाधिक बडे वाहन नागपुर-औरंगाबाद महामार्ग से निकल जाते है जिसकी वजह से इस रास्ते पर गड्ढे पडने की वजह से दुर्घटनाएं बढ रही है. अब तक करीबन 150 जाने यहां जा चुकी है. रास्तों पर बढ रही दुर्घटनाओं को लेकर मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने 31 अक्तूबर 2019में इस महामार्ग को भारतीय राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण को सौंपा.
285 किमी रास्ते के कामों की जांच की जाए
नागपुर-औरंगाबाद 285 किमी रास्ते की मरम्मत का काम जनवरी, फरवरी महीने में किया गया था. इस रास्ते के काम के लिए निकृष्ट दर्जे की सामग्री इस्तेमाल की गई थी 9 महीने में ही तलेगांव दशासर, भुईखेड मार्ग पर पुन: गड्ढे पड गए. यह अवस्था पुलगांव तक के महामार्ग की भी है. सर्वाधिक यातायात इस महामार्ग से की जाती है. संबंधित यंत्रणा व्दारा अनदेखी किए जाने का आरोप परिसर के नागरिकों व्दारा लगाया जा रहा है. मरम्मत किए जाने के बाद वापस से पडे गड्ढों के कारण दुर्घटनाओं का प्रमाण बढा है जिसमें इस रास्ते के काम की जांच किए जाने की मांग की जा रही है.