कोविड में पति खो चुकी महिलाओं को सहायता का हाथ
कठिन हालात में युवा रूरल एसोसिएशन की सहायता से एकल महिलाओं ने की नई शुरूआत
नागपुर दि.18 – कोविड संक्रमण के चलते अपने पति को खो चुकी तथा विपरित हालात में फंस चुकी एकल महिलाओं ने संकटोें और हालात का सामना करते हुए एक नई शुरूआत की है. इस हेतु ऐसी महिलाओं को युवा रूरल एसोसिएशन नामक स्वयंसेवी संस्था ने सहायता का हाथ दिया है. किंतु इन महिलाओं का चयन दया के आधार पर नहीं, बल्कि कडे मानकों के आधार पर किया जाता है.
बता दें कि, युवा रूरल एसोसिएशन द्वारा विदर्भ क्षेत्र में वर्ष 2000 से काम किया जा रहा है. संस्था के पास कोविड संक्रमण के दौरान काफी बडे पैमाने पर सहायता निधी प्राप्त हुई थी और कई दानदाताओं व संस्थाओं ने कोविड प्रभावित परिवारों को दुबारा खडे रहने हेतु 11 लाख रूपये से अधिक की निधी उपलब्ध करायी थी. जिसके जरिये कोविड संक्रमण काल के दौरान अपने पति को खो चुकी महिलाओं को सहायता देने की बात तय की गई. इसके तहत बेहद जरूरतमंद व सही अर्थों में वंचित महिलाओं का चयन करना सबसे पहली प्राथमिकता थी. ऐसे में स्वयंसेवी संस्था संगठन की प्रदेश सचिव गौरीशास्त्री देशपांडे ने आगे आते हुए यह जवाबदरी स्वीकार की. उन्होंने विदर्भ सहित राज्य की विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं व सामाजिक कार्य करनेवाले कार्यकर्ताओं के जरिये जरूरतमंद व वंचित महिलाओं के आवेदन मंगवाये और यह सहायता केवल जरूरतमंद महिलाओं को ही मिले, इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया. इस दौरान करीब 50 आवेदन आये. जिसमें से जरूरतमंद महिलाओं का चयन करते हुए उन्हेें विविध व्यवसाय शुरू करने हेतु अनुदान दिया गया. किंतु यह अनुदान सीधे संबंधितों के हाथ में अथवा बैंक खाते में नहीं दिया गया, बल्कि व्यवसाय शुरू करने हेतु आवश्यक साहित्य खरीदकर दिया गया. ऐसे में आज ये सभी महिलाएं पूरे आत्मविश्वास व नये उत्साह के साथ विपरित हालात पर मात करते हुए सम्मानपूर्ण ढंग से अपना जीवन जी रही है.
जरूरतमंद व वंचित महिलाओं का चयन करना सबसे बडी चुनौती थी. इस काम में ही करीब आठ से दस माह का समय लग गया. कडे मानकों के तहत महिलाओं का चयन करते हुए उन्हें सहायता देने के लिए चुना गया. साथ ही आज इस बात का समाधान है कि, हमारे द्वारा की गई सहायता सतपात्र व सुयोग्य के हाथ में गई है.
– दत्ता पाटील
महासंचालक, युवा रूरल एसोसिएशन