विदर्भ

खुद पति को छोडनेवाली पत्नी को खावटी का अधिकार नहीं

हाईकोर्ट ने पत्नी की याचिका को किया खारिज

नागपुर /दि.24– पति की कोई भी गलती नहीं रहने तथा अन्य कोई ठोस वजह भी नहीं रहने के बावजूद अपनी मर्जी से अलग होनेवाली और पति द्वारा साथ रहने हेतु बुलाए जाने के बावजूद वापिस जाने से इंकार करनेवाली पत्नी खावटी खर्च मिलने हेतु पात्र नहीं है, ऐसा निर्णय मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ की न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी फालके द्वारा सुनाया गया है.
इस मामले पत्नी अकोला तथा पति यवतमाल जिले का निवासी है. जिनका विवाह 25 दिसंबर 2015 को हुआ था. इसके बाद पत्नी केवल 10 महिने ही अपने पति के साथ रही और फिर अपने मायके चली गई. पश्चात पत्नी ने खावटी खर्च मिलने हेतु उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अपने पति पर विविध आरोप लगाए थे. अपनी याचिका में पत्नी का कहना रहा कि, वैवाहिक रिश्ता तय करते समय बताया गया था कि, उसका होनेवाला पति महाविद्यालय में व्याख्याता है. जिसे भरपूर वेतन मिलता है और वह अपनी कोचिंग क्लास भी चलाता है. साथ ही उसके पास खुद का घर और खेती भी है. लेकिन यह सभी जानकारी पूरी तरह से गलत निकली, क्योंकि उसका पति एक बिना अनुदानित महाविद्यालय में कार्यरत है. जिसे प्रति माह केवल 9 हजार रुपए का मासिक वेतन मिलता है और वह यवतमाल में केवल एक कमरे वाले घर में रहता है. इसके अलावा पति व ससुरालियों द्वारा उसके साथ गलत व्यवहार भी किया जाता है और उसका पति उसकी देखभाल करने की ओर भी अनदेखी करता है. परंतु इसमें से एक भी आरोप को पत्नी द्वारा अदालत में साबित नहीं किया जा सका. उलटे रिकॉर्ड के जरिए यह स्पष्ट हुआ कि, पति ने अपनी पत्नी को समझाने-बुझाने का काफी प्रयास किया और उसे अपने साथ रहने हेतु वापिस भी बुलाया. लेकिन पत्नी इसके लिए तैयार नहीं हुई. जिसके चलते पत्नी का अपने पति से अलग रहना आधारहिन साबित हुआ. इस बात को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने पत्नी की याचिका को खारिज कर दिया.

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