विदर्भ

गाली गलौच करना यानि आत्महत्या के लिए प्रवृत्त करना नहीं

उच्च न्यायालय का निरीक्षण : विवादग्रस्त अपराध रद्द किया

नागपुर/दि.15 – सार्वजनिक रुप से अपमानास्पद गाली गलौच करना यानि आत्महत्या के लिए प्रोत्साहन देना या मदद करना नहीं है, इस बात का निरीक्षण मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने एक मामले के निर्णय में दर्ज कर आरोपी के खिलाफ का विवादग्रस्त अपराध रद्द किया. न्यायमूर्तिव्दय विनय देशपांडे व अमित बोरकर ने यह महत्वपूर्ण निर्णय दिया.
आरोपियों में विजय चव्हाण व अन्य चार व्यक्तियों का समावेश था. वे सभी यवतमाल जिले के महागांव निवासी हैं. जेता राठोड व्दारा आत्महत्या किये जाने के कारण 3 मार्च 2021 को पुसद ग्रामीण पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए प्रवृत्त किये जाने का अपराध दर्ज किया था. वह अपराध रद्द करने के लिए आरोपियों ने उच्चन्यायालय में याचिका दाखल की थी. वह याचिका मंजूर की गई.
जेता राठोड ने आत्महत्या करनी चाहिए, इसके लिए आरोपियों ने उसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से प्रोत्साहन दिया व मदद की, इस बारे में ठोस सबूत न्यायालय को नहीं मिले. आरोपी व राठोड में खेत जमीन के लिए विवाद था. जिस पर से उनमें बार-बार झगड़े होते रहते थे. वह विवाद सामंजस्य से मिटाने के लिए पंचायत के समक्ष बैठक आयोजित की गई थी. उस समय आरोपियों ने गाली गलौच की थी. परिणामस्वरुप राठोड ने विष प्राशन कर आत्महत्या की.

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