नागपुर/दि.31- विधानमंडल के शीत सत्र के अंतिम दिन विपक्ष के नेता अजीत पवार द्वारा संभाजी राजे को धर्मवीर कहने की जरुरत नहीं का बयान दिया गया था. इस पर उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और मंत्री शंभूराजे देसाई ने कड़ा ऐतराज जताया. फडणवीस ने कहा कि छत्रपति संभाजी महाराज ने धर्म की रक्षा की. उन्हें औरंगजेब ने इसीलिए मरवा दिया कि संभाजी महाराज ने धर्मांतर करने से इनकार कर दिया था. स्वदेश, स्वभूमि और स्वधर्म के लिए जुल्म सहन कर बलिदान दिया. उनके शरीर के टुकड़े किए गए थे. फिर भी संभाजी महाराज ने स्वराष्ट्र, स्वधर्म की भाषा नहीं छोड़ी. इसलिए अजीत पवार और उनके विचारों के लोगों द्वारा कितना भी प्रयत्न किया गया तो भी छत्रपति संभाजी महाराज स्वराज्य रक्षक तो थे ही, वे धर्मवीर भी थे.
विधानसभा में बोलते समय अजीत पवार ने कहा था कि संभाजी महाराज स्वराज्य रक्षक थे, धर्मवीर नहीं थे. पवार ने हालांकि बाल शौर्य पुरस्कार संभाजी महाराज की जयंती पर दिए जाने की घोषणा करने का अनुरोध मुख्यमंत्री से किया.
* शंभूराजे की चेतावनी
उधर शंभूराजे देसाई ने पवार के बयान को गलत बताया. चेतावनी दी कि ऐसे बयान से महाराष्ट्र में बड़े प्रमाण पर प्रतिक्रिया हो सकती है. देसाई ने इतिहास का हवाला देकर कहा कि मूगलों ने संभाजी महाराज को धर्म परिवर्तन करने 40 दिनों तक तड़पाया. किन्तु महाराज ने हिंदू धर्म रक्षण हेतु बलिदान दिया. धर्म नहीं छोड़ा. फिर संभाजी महाराज को धर्मवीर, धर्मरक्षक क्यों नहीं कहा जाये! देसाई न यह भी सवाल उठाया कि क्या अजीत पवार को लगता है कि संभाजी महाराज का बलिदान उचित नहीं.